
कोर्ट ने कहा कि स्कूलों को काफी ज्यादा टाइम दिया गया इसके बावजूद स्टूडेंट्स से वसूली गई ज्यादा फीस वापस नहीं की गई। हम मानते हैं कि कमिटी ने जो भी अमाउंट का आंकलन किया होगा उसमें जरूर ऊपर-नीचे हो सकता है लेकिन उसकी वजह से पूरे प्रोसेस पर रोक लगाना जायज नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट स्कूलों की ओर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्कूलों ने जस्टिस अनिल देव कमिटी की सिफारिशों पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा है।
स्कूलों ने डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन के 29 मई के ऑर्डर को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि स्कूल अगर फीस वापस नहीं करेंगे तो उन स्कूलों को डिपार्टमेंट टेकओवर या फिर उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। कोर्ट ने यह आदेश स्कूलों की ओर पेश हुए वकील सलमान खुर्शीद और अमित सिबल के कहने पर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि कमिटी ने जो आंकलन किया है उसमें कुछ कमियां हैं। इस मामले में कोर्ट अब 25 सितंबर को सुनवाई करेगा।
क्या है मामला?
प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस वसूली पर लगाम कसने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी बनाई थी। कमेटी ने दिल्ली के कुल 1108 प्राइवेट स्कूलों पर रिपोर्ट तैयार की। इसके मुताबिक, 544 स्कूलों ने ज्यादा फीस वसूल की। कमेटी ने स्कूलों को ज्यादा फीस वसूली को ब्याज समेत लौटाने और इंस्पेक्शन की सिफारिश की है।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में बताया था कि 449 प्राइवेट स्कूल कमेटी की सिफारिशें नहीं मान रहे हैं। नियमों का उल्लंघन भी कर रहे हैं। इसके चलते सरकार उन्हें टेकओवर करने की तैयारी में है। 17 अगस्त को दिल्ली सरकार ने इन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।