
दरअसल, सरदार सरोवर बांध नर्मदा नदी पर बना है। इस बांध का विवादों से भी बहुत पुराना नाता है। क्योंकि इस बांध के अस्तित्व में आने के साथ ही मध्यप्रदेश के 192 गांव, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव नक्शे से मिट गए। यानि कि 244 गांव इतिहास बन गए। इस परियोजना का सपना देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने देखा था। ताकि गुजरात के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सके लेकिन वो भी नहीं चाहते थे कि 244 गावों को बर्बाद करके गुजरात के किसानों को सिंचाई का पानी दिया जाए।
गुजरात में जश्न तो एमपी में निराशा
इस बांध के लोकार्पण पर गुजरात में भले ही जश्न मनाया जा रहा हो लेकिन मध्यप्रदेश में जिस प्रकार गांव डूब रहे हैं वहां मायूसी ही छाती जा रही है। यही वजह है कि देश के सबसे ऊंचे बांध का पहला पन्ना.. स्वागत और विरोध के दो सुरों के साथ ही लिखा गया है। क्योंकि एक अनुमान के मुताबिक 5 लाख से ज्यादा परिवार विस्थापन के शिकार होंगे।
विस्थापितों को न सही मुआवजा न उचित पुनर्वास
वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन का दावा है कि बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने की स्थिति में मध्यप्रदेश के 192 गांवों और एक शहर के करीब 40,000 परिवारों को विस्थापन की त्रासदी झोलनी पड़ेगी। अनुमान के मुताबिक तीन राज्यों में 5 लाख से ज्यादा परिवार विस्थापन के शिकार होंगे। विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि सभी बांध विस्थापितों को न तो सही मुआवजा मिला है, न ही उनके उचित पुनर्वास के इंतजाम किये गये हैं।