राजनीति के दोहरे चरित्र और धर्म के छौंके

राकेश दुबे@प्रतिदिन। जश्न-ए-आज़ादी में इस बार जो हुआ, वो अभूतपूर्व है। केरल में एक स्कूल के खिलाफ इसलिए कार्रवाई हुई है कि स्कूल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक से ध्वजारोहण करवाया। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रसार भारती द्वारा स्वतन्त्रता दिवस पर दिए जाने वाले उनके भाषण को लेकर हुए विवाद को लेकर खफा है। उत्तर प्रदेश मेंस्वतन्त्रता दिवस पर “जन गण मन” का गान न करने वाले मदरसों पर कार्रवाई होगी ऐसी खबरें जोरो पर हैं। यह सब क्या है ? हमारा  राष्ट्रीयता का सोच और भाव कहाँ तिरोहित हो रहा है।

पहले 14 अगस्त. "14 अगस्त की शाम एआईआर के नई दिल्ली में नियुक्त सहायक कार्यक्रम निदेशक (नीति) संजीव दोसाझ और प्रसार भारती के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से यूके साहू ने अलग-अलग संदेश भेजकर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित किया कि पूरा भाषण ज्यों का त्यों प्रसारित नहीं किया जा सकता।" वक्तव्य में आगे कहा गया है। "एआईआर और प्रसार भारती के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के भाषण में मौके की गरिमा भारतवासियों की भावनाओं के अनुकूल कांट-छांट का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में किसी तरह की कांट-छांट को अस्वीकार कर दिय।” क्या यह व्यवहार प्रतिपक्षी दल की सरकार के साथ उचित है ?

केरल में सरकार ने भी 14 अगस्त को एक निर्देश निकाल कर सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष अधिकारी द्वारा झंडा वन्दन को रोकने का प्रयास ही नहीं किया, बल्कि अब स्कूल पर कार्रवाई हो रही है। क्या झंडा वन्दना किसी एक राजनीतिक दल की बपौती है ? क्या देश प्रेम प्रदर्शन का अधिकार, राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण राजनीति तय करेगी ?

उत्तर प्रदेश में निर्देश के बावजूद मदरसों ने “जन गण मन” का गान नही किया। सरकार अब उन पर कार्रवाई का सोच रही है। मदरसों को यह सलाह कौन दे रहा है ? जन गण मन तो सर्व स्वीकार्य राष्ट्र गीत है, उससे किसी इबादत की नाफरमानी नही होती है। यह भावना क्या राष्ट्रीयता जागरण करती है ? और सबसे महत्वपूर्ण देश से पहले धर्म या धर्म से पहले देश का है।

यह सारे घटनाक्रम किसी लोकतान्त्रिक देश के लिए ठीक है ? सारे लोगों का जवाब एक स्वर में आएगा नही। पर यह सब कर और करवा कौन रहा है ? इसका उत्तर है राजनीति का दोहरा चरित्र, जिसमे वोट की राजनीति धर्म का छोंका लगा रही है। सरकार के सामने बड़ी चुनौतिया है। जैसे राष्ट्रीयता की पहचान, पैन कार्ड नंबरों को ब्लॉक करने के बाद सरकार का चाबुक आधार कार्ड पर चला है। केंद्र सरकार ने करीब 81 लाख से ज्यादा आधार कार्ड ब्लॉक कर दिए हैं। आधार कार्ड को जारी करने वाली संस्था (यूआईडीएआई) ने यह कदम उठाया है। सरकार के इस कदम का असर सबसे ज्यादा बच्चों और युवाओं के आधार कार्ड पर पड़ा है, जिनकी उम्र 18 साल से कम है।

सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग के लिए बिना किसी पूर्वाग्रह के कोई जुड़ने को तैयार नहीं है। न तो राजनीतिक दल न सांस्कृतिक सन्गठन। धर्म को पहले रखने वालों से तो कोई उम्मीद की ही नहीं जा सकती। सोचिये! देश न हुआ, तो आप कहाँ होंगे ? देश को प्रथम मानिये।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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