आतंकियों को दफनाने के बजाए कचरे के साथ जलाएं

शोऐब सिद्धिकी। केंद्र सरकार को चाहिए कि जितने आतंकवादी मारे जाएं उनके शव दफनाने की बजाय जलाना शुरू कर दें। यह उपाय आतंकवाद मे कमी आने का उपाय साबित हो सकता है।क्योंकि पहली बात आतंकवाद का कोइ धर्म नहीं होता।इसलिए क्या फर्क पडता है उसे जलाया या दफनाया जाए? दूसरी बात फिदायीन हमलावर मरने के बाद जलने लगेंगे तो जिन 72 हूरों के लालच मे वह जिहादी बनते हैं उस सुख को कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे क्योंकि जलने के बाद शरीर राख बन जाएगा। यह आजमाया जाना चाहिए प्रायोगिक तौर पर यदि कोइ विरोध करे तो बडे आराम से आतंकवाद का धर्म पता लग जाएगा। मरे हुए आतंकवादियों को कचरे के ढ़ेर के साथ जला देना चाहिए.

१. दफनाने से साबित होता है कि आतंकवाद का कोई धर्म जरुर है। 
२. वैसे भी आतंकवादी के शव कोई देश वापस नहीं लेता है तो अपनी जमीन पर उनको दफनाने का क्या औचित्य?
३. हर आतंकवादी को ये संदेश जायेगा कि मरे तो जन्नत का तो पता नहीं दो गज जमीन तक नहीं मिलेगी। 
४. मरने के बाद मानवाधिकार का मामला भी नहीं बनता।
५. अपने देश की जमीन उन नापाक इरादे रखने वालों दफन के लिए इस्तेमाल क्यों करनी?
६. आतंकवाद को धर्म नहीं मानने वालों की पहचान हो जायेगी।
७. आतंकियों की पैरवी करने वालों की पोल खुल जायेगी और पता चल जायेगा कि यहॉ कितने भेड़िये पल रहे है?
८. आतंकवाद की जगह कचरे में होगी तो सारे विश्व में श्रेष्ठ संकेत जायेगा कि आप वास्तव में आतंकवाद को किस तरह से नष्ट कर सकते हो।
९. यह भी पता लग जायेगा कि इनको कचरे के साथ जलाने से कितनों की जलती है...।
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