पेरेंट्स भी करवाने लगे हैं प्रस्तावित बहु-दामाद का LOYALTY TEST

BHOPAL: पहले जहां जासूसों की मदद किसी उलझे हुए मामलों को सुलझाया जाता था, वहीं अब इनका ज्यादातर प्रयोग प्यार मोहब्बत और पार्टनर का लॉयल्टी टेस्ट करवाने में हो रहा है। राजधानी में भी कई डिटेक्टिव एजेंसी हैं, जिनके पास इस तरह के मामलों की लंबी फेहरिस्त है। दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ लव-बर्ड्स के साथ ही अभिभावक भी अपने बेटे या बेटी की शादी से पहले उसके पार्टनर की पूरी जानकारी निकलवा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि टेलीविजन में आए एक शो, जिसमें लॉयल्टी टेस्ट करवाया जाता था उसके बाद यह चलन ज्यादा बढ़ा है।

जानना चाहते हैं पार्टी में किससे ज्यादा इंटीमेंट हुआ पार्टनर
डिटेक्टिव एजेंसी चला रहे अनूप पंडित बताते हैं कि उनके पास इस तरह के लड़के-लड़कियां ज्यादा आते हैं जो प्रेम संबंध में होने के बावजूद अपने पार्टनर पर शक करते हैं। वे कहते हैं कि इनमें वर्किंग प्रोफेशनल्स ज्यादा होते हैं, क्योंकि इस कार्य के लिए फीस भी अच्छी-खासी देनी होती है। बकौल अनूप उन्हें अपने पार्टनर को लेकर हर चीज जाननी होती है। मसलन वो कहा गए, किससे मिले, पार्टी में अंदर किससे ज्यादा इंटीमेट हो रहे थे आदि। हालांकि हमारी भी सीमाएं होती हैं, जिसके बारे में उन्हें बता दिया जाता है।

निजी कंपनी में मैनेजर रवि ( परिवर्तित नाम) ने अपनी बेटी की शादी के लिए उसके होने वाले पति की पूरी हिस्ट्री जानने के लिए डिटेक्टिव एजेंसी की मदद ली। दरअसल उनकी बेटी लव मैरिज करना चाहती थी और जिस लड़के को वो पसंद करती थी वो दूसरे राज्य का था। इसके लिए उन्होंने एजेंसी से मदद लेकर लड़के के कैरेक्टर से लेकर अन्य सारी जानकारी हासिल की।

अजय (परिवर्तित नाम ) चार साल से सीरियल रिलेशनशिप में थे, लेकिन उन्हें लगता था उनकी गर्लफ्रेंड उनके साथ-साथ किसी और से भी इन्वॉल्व है। जॉब के चलते दूसरे शहर में होने के कारण वे अपनी गर्लफ्रेंड पर कम ही वक्त बिता पाते थे। आखिरकार उन्होंने डिटेक्टिव एजेंसी की मदद से अपनी गर्लफ्रेंड पर नजर रखवाई।

अभिभावकों को भरोसा नहीं
डिटेक्टिव अजय यादव बताते हैं कि उनके पास कई ऐसे अभिभावक आते हैं जिनके बच्चे दूसरे राज्य में जॉब कर रहे हैं और उन्होंने वहीं पर अपना कोई लाइफ पार्टनर चुन लिया। वे कहते हैं कि उनके पास आने वाले ज्यादातर पेरेंट्स का कहना होता है कि उनकी नजरों में संतान द्वारा चुना गया पार्टनर सही नहीं होता है,लेकिन बच्चे मानने के लिए तैयार नहीं होते। ऐसे में वो गुप्त तरीके से अपने बच्चे की होने वाले पार्टनर की पूरी कैरेक्टर रिपोर्ट मांगते हैं।

नए कपल्स में शक ज्यादा
डिडेक्टिव महेश मिश्रा के पास शादीशुदा लोग भी आते हैं। इनमें ऐसे कपल्स ज्यादा होते हैं, जिनकी शादी को पांच या छह महीने भी नहीं हुए होते। वे कहते हैं कि इनमें लड़के और लड़कियां दोनों ही शामिल हैं। ये ऐसे कपल्स होते हैं जिनकी मैरिज अरेंज हुई हो या फिर परिजनों के दबाव के चलते की गई हो। ऐसे मामलों में इंवेस्टिगेशन में कई बार जो शंका लड़के या लड़की की ओर से जाहिर की जाती है वो सही भी निकलती है। वे पहली जांच पर विश्वास भी नहीं करते हैं।

अलग-अलग पैकेज
शहर की एजेंसी ने पार्टनर की जानकारी निकालने के लिए अलग-अलग पैकेज तय कर रखे हैं, जो दस हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक के बीच में हैं। इनमें दिनचर्या के साथ वो जिससे मिले उसकी फोटोग्राफ्स से लेकर अन्य जानकारियां भी दी जाती हैं। वहीं दिल्ली और मुंबई की बड़ी एजेंसी की मदद भी अपने राज्य में मिल जाती है, लेकिन इसके लिए 25 से 50 हजार रुपए तक का खर्चा करना होता है।
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