
लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग ने प्रदेश के 116 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी है। चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को नोटिस इन 116 विधायकों को स्कूल और कॉलेज की जनभागीदारी समितियों में नियुक्त किए जाने से संबंधित नोटिफिकेशन की कॉपी भी मांगी है। चुनाव आयोग ने इन 116 विधायकों को जनभागीदारी समिति के सदस्य होने के ऐवज में मिल रही सरकारी सुविधाओं की भी जानकारी देने को कहा है।
इन 116 विधायकों में तीन कैबिनेट मंत्री अर्चना चिटनीस, जयभान सिंह पवैया और रुस्तम सिंह शामिल हैं। जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में यह नोटिस आम आदमी पार्टी की शिकायत पर जारी किया है। आम आदमी पार्टी ने अपनी शिकायत में जनभागीदारी समिति में नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी है कि विधायक का किसी भी ऐसे सरकारी पद पर नियुक्ति जिसमें उन्हें संस्था भत्ते और दूसरे शासकीय फायदे मिलते हैं, वह संविधान के आर्टिकल 102 (1) (ए) का उल्लंघन है। प्रतिपक्ष की मांग इन सभी 116 विधायकों की विधायकी तुरंत समाप्त करने की है।
शिकायत कर्ता आम आदमी पार्टी भी इस रोग से ग्रस्त है। लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार के 20 आम आदमी विधायकों के खिलाफ अंतिम सुनवाई शुरु कर दी है। अगर चुनाव आयोग दिल्ली सरकार के 20 विधायकों के लाभ के पद मामले में विधायकी समाप्त कर देता है तो उसका सीधा असर प्रदेश के इन 116 उत्तमनरों के भविष्य पर भी पड़ेगा। इन 20 विधायकों को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने संसदीय सचिव बनाया था। राष्ट्रपति को इन विधायकों को लाभ के पद पर संसदीय सचिव बनाने की शिकायत की गई थी। राष्ट्रपति ने यह शिकायत चुनाव आयोग को भेज दी थी। चुनाव आयोग द्वारा इन आप विधायकों से अपने नोटिस के जवाब मिलने के बाद इन पर कार्रवाई शुरु की गई। यही मध्यप्रदेश में भी हुआ है।
पता नहीं मुख्य सचिव आयोग की चिट्ठी पर कब गौर फरमाते हैं। नई उर्जा से भरा चुनाव आयोग अपने भुजदंड पर उभरी मछलियों से संदेश दे रहा है। आ देखें! जरा किसमें कितना है दम।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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