सड़कों पर पानी की तरह बहा दिया दूध, फैंक दी क्विंटलों सब्जियां: किसान आंदोलन

इंदौर। शिवराज सरकार की अनदेखी के चलते मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन शुरू हो गया है। किसानों ने लाखों लीटर दूध सड़कों पर पानी की तरह बहा दिया। क्विंटलों सब्जियां फैंक दी। जल्द ही जनता को इस आंदोलन के कारण परेशानियां झेलनी पड़ सकतीं हैं। आंदोलनकरी फसल के उचित दाम ना मिलने से नाराज हैं। किसानों ने 1 से 10 जून तक मंडियों में माल नहीं लाने का आंदोलन शुरू किया है। इस आंदोलन में दूध उत्पादक भी शामिल हैं। वे भी दूध नहीं बचेंगे। इस कारण दूध और सब्जियों की किल्लत शुरू हो गई है। 

उधर उज्जैन, देवास, नीमच और नागदा में दूध बेचने जा रहे कुछ पशुपालकों का हजारों लीटर दूध आंदोलन कर रहे लोगों ने बहा‍ दिया। पशुपालक इसकी शिकायत लेकर थाने पहुंचे। जानकारी के मुताबिक उज्जैन इंदौर रोड पर आंदोलन कर रहे लोगों ने दूध की टंकियों से भरे वाहन को रोक लिया। इसके बाद उन्होंने हजारों लीटर दूध सड़कों पर बहा दिया। इस दौरान रास्ते में जाम लग गया। नीमच में सहकारी समिति की गाड़ी रोककर उसमें भरा दूध बहा दिया गया। आंदोलन करने वालों ने कहा कि हमने पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि शहरों में दूध और सब्जी नहीं भेजी जाएगी। फिर भी ये लोग दूध लेकर जा रहे थे।

इंदौर की मंडी बंद
इंदौर की छावनी अनाज मंडी में किसान के साथ हुई मारपीट के विरोध में भारतीय किसान संघ ने गुरुवार को जिले की मंडियां बंद रखीं। किसानों से कहा गया है कि वे सब्जियां व अनाज लेकर मंडियों में न जाएं। भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी दिलीप मुकाती ने कहा कि मंडी समिति के अधिकारी व्यापारियों का पक्ष लेते हैं और खुद की कमियों को छिपाते हैं। अनाज को बारिश से बचाने के लिए जो तिरपाल समिति ने खरीदे हैं। उनका उपयोग किसान नहीं कर सकते। मंगलवार की घटना में भी किसान के साथ बदसलूकी की गई।

मंडी में मंगलवार को अनाज का कम भाव मिलने पर किसान रवि चौधरी अपने नाना भेरूलाल देवलिया के साथ सोयाबीन बेचने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें अनाज का उचित दाम नहीं मिला। इस पर बात विवाद बढ़ गया। व्यापारी कैलाश राजवीर से भी उनका विवाद हो गया। कुछ देर बाद अन्य किसान भी आ गए और उन्होंने मंडी के कम्प्यूटर कक्ष में तोड़फोड़ कर दी।

किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने कहा कि किसान की फसलों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा। प्रदेश सरकार भी किसानों की मदद नहीं कर रही। आलू-प्याज मंडियों में इतना सस्ते में बिक रहे कि उनकी लागत तक नहीं निकल रही। इससे किसान पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। दो दिन से आंदोलन को लेकर गांवों में बैठकें हो चुकी हैं। रावलिया ने कहा किसानों ने भी स्वेच्छा से अनाज व सब्जियां लेकर मंडियों में नहीं जाने का फैसला लिया है। किसान शहरों में दूध बिक्री के लिए नहीं भेजेंगे। 

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