माता पिता के इलाज पर खर्च की लिमिट बढ़ाइए: कर्मचारी संघ

भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपने माता पिता की गम्भीर बीमारी का उपचार कराकर उपचार व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु चिकित्सा देयक प्रस्तुत करते है तो उसे प्रतिपूर्ति तभी मिलती है जब माता पिता की सभी स्त्रोंतो से प्राप्त कुल वार्षिक आय एक लाख रूपये से कम हो। मध्यप्रदेश सरकार ने 23 मई 2014 को चिकित्सा प्रतिपूर्ति नियम 1958 के नियम 2(घ)(2) में संषोधन कर वार्षिक एक लाख आय सीमा का निर्धारण किया है। इसके चलते अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी जिनके माता पिता की वार्षिक आय एक लाख रूपये से अधिक है का गंभीर बीमारी का इलाज कराने के बाद हजारों रूपयें के देयक लेकर घूम रहे है परन्तु भुगतान न होने के कारण इन कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट खडा हो गया है। 

मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा शासकीय सेवक पर पूर्ण आश्रित सदस्यों के निर्धारण हेतु जो आय सीमा एक लाख वार्षिक तय की है वह बहुत ही कम है। सरकारी कर्मचारी गंभीर बीमारी से पीड्ति अपने वृद्ध माता पिता के इलाज पर खर्च की गई हजारों रूपये की राशि के भुगतान के लिये जब विभाग में आवेदन देते है तो उन्हें सरकार आय सीमा का तर्क देकर भुगतान करने से मना कर देती है। सरकारी कर्मचारी पैसे के अभाव में अपने माता पिता का सही उपचार नही करा पा रहे है।

श्री शर्मा ने पंजाब एवं हरियाण हाई कोर्ट के एक महत्वपूर्ण प्रकरण जिसमें माननीय न्यायालय ने फैसला दिया कि यदि पिता समृद्ध है और उसके पास आय के अन्य साधन है तब भी वह बेटे पर आश्रित की श्रेणी में आता है क्योकि आश्रित की परिभाषा केवल आर्थिक आधार पर ही तय नही होती है। इसलिये पिता के इलाज पर खर्च की गई राशि का भुगतान किया जाए का उल्लेख कर मुख्य मंत्री एवं मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित कर मध्यप्रदेश चिकित्सा परिचर्या नियम 1958 के नियम 2 में सरकारी कर्मचारी पर आश्रित परिवार के सदस्यों के निर्धारण हेतु आय सीमा को समाप्त करने की मांग की है। लक्ष्मीनारायण शर्मा ने कहा कि यदि मध्यप्रदेश सरकार शीघ्र चिकित्सा परिचर्या नियम के नियम 2(घ)(2) में संशोधन नही करेंगी तो वे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करेंगे। 

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