कर्मचारियों की हड़ताल: हाईकोर्ट से औंधे मुंह लौटी कंपनी, सरकार बातचीत को तैयार | EMPLOYEE

भोपाल। लगातार सातवें दिन भी 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। मंगलवार को नारेबाजी और प्रदर्शन के दौरान संगठन के अध्यक्ष राम परमार की तबीयत अचानक बिगड़ गई। इस दौरान मौके पर ही उन्हें स्वास्थ सेवाएं दिलाने का प्रबंध किया गया, लेकिन उन्होंने स्वास्थ लाभ लेने से इंकार कर दिया है। उधर, प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि सरकार हड़ताल कर रहे कर्मचारियों से चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन यह भी तय है कि कर्मचारियों के दबाव के आगे सरकार नहीं झुकेगी। उधर, जबलपुर हाईकोर्ट ने कंपनी की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए कहा है कि ये कंपनी और कर्मचारियों के बीच का विवाद है, इसलिए आपस में ही सुलझा लें। वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं। ड्राइवरों को रखा जा रहा है। हड़ताल करने वाले कर्मचारियों की मांग ऐसी नहीं है जिनको माना जा सके। मनीष संचेती, चीफ फाइनेंस ऑफिसर, जिगित्सा हेल्थ केयर

सातवें दिन बाद भी 156 एंबुलेंस ऑफरोड-हड़ताल की वजह से मुख्यमंत्री के क्षेत्र सीहोर के अलावा विदिशा, भोपाल, झाबुआ, बैतूल, रीवा, सागर और इंदौर सहित 51 जिलों में स्वास्थ्य सेवा गड़बड़ा गई है। 606 एंबुलेंस में से महज 450 एंबुलेंस ऑनरोड हुई हैं। शेष 156 एंबुलेंस अभी-भी आॅफरोड हैं।

कवायद बेकार बैठक से उठकर चले गए जिगित्सा के अफसर
श्रम विभाग के सहायक आयुक्त भानु प्रताप सिंह ने कंपनी के सीईओ नरेश जैन के साथ सोमवार को बैठक की। सहायक आयुक्त ने कहा कि लेबर रूल के हिसाब से ज्यादा काम लिया जा रहा है तो ओवरटाइम पे किया जाए। सीईओ ने यह कह कर नकार दिया कि टेंडर की शर्तों में ऐसी कोई बात नहीं लिखी है। इतना कहकर वो बैठक से चलते बने।

नेता प्रतिपक्ष का आरोपः वहां नर्मदा यात्रा, यहां पर जनता परेशान
जिला कांग्रेस अध्यक्ष पीसी शर्मा के साथ नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के बीच सोमवार को ईदगाह हिल्स पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि सीएम नर्मदा नदी को बचाने के लिए यात्रा कर रहे हैं और कर्मचारी हड़ताल पर हैं। लेकिन सरकार को इसका परवाह नहीं हैं। हर दिन जनता परेशानी उठाकर अस्पताल पहुंच रही है। इसकी चिंता सीएम को करना चाहिए।

कर्मचारी संघ बोलाः 700 रुपए के हिसाब से रखे अनट्रेंड ड्राइवर
मप्र एंबुलेंस कर्मचारी संघ के मीडिया प्रभारी असलम खान का कहना है कि सरकार ने सिर्फ दिखावे के लिए कुछ ड्राइवरों को एंबुलेंस चलाने की जिम्मेदारी सौंप दी है। यह कर्मचारी अनट्रेंड हैं। इनको न तो स्ट्रेचर उठाना आता है और न ही जरूरी दवा के बारे में कोई जानकारी है। सात सौ रुपए हर दिन के हिसाब से यह ड्राइवर रखे गए हैं।

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