वास्तु की दसों दिशा अलग अलग ग्रह तथा उसकी शक्ति को दर्शाती है। उत्तर पूर्व दिशा शांति सुकून तथा बौद्धिक प्रगति को दर्शाती है। वही दक्षिणपश्चिम यानी नेर्त्य कोण यह दिशा संहारक शक्ति को दर्शाती है। इस दिशा मॆ आपदा, पारलौकिक शक्ति का वास होता है वास्तु के अनुसार यह दिशा बंद होनी चाहिये इस दिशा मॆ भारी सामान संडास तथा मशीन इत्यादि होना चाहिये।
नेरत्य अर्थात राहु केतु की दिशा
दक्षिण पश्चिम अर्थात शनि और मंगल की दिशा ये दोनो ग्रह कड़ा श्रम दिखाते है। मंगल युद्ध का कारक ग्रह तो शनि श्रम और कार्य का ग्रह होता है। कारखाने के लिये ये दिशा उपयुक्त हो सकती है। उसमे भी कारखाना मालिक राशि तथा लग्न शनि या मंगल प्रधान हो तब।
घर के लिये अशुभ दिशा
पारिवारिक निवास के लिये अर्थात मुख्य द्वार हेतु यह दिशा अशुभ होती है। इस दिशा से घर मॆ नकारात्मक शक्ति का प्रवेश होता है। जो लोग मांगलिक होते है या फ़िर जिनकी पत्री मॆ शनि मंगल अशुभ हो उनको यह दिशा बीमारी कर्ज अथवा किसी विपत्ति मॆ फँसा सकती है। यह दिशा प्रेत आत्माओ का निवास होता है इस दिशा के मुख्य द्वार से आपको हमेशा संकटपूर्ण हालात का सामना करना पड़ेगा।
क्या करे
यदि आप कर्ज, कोर्ट कचहरी, बीमारी जैसे किसी चक्कर मॆ है तो पहले ये दिखाये की कही आपका प्रवेश द्वार नेर्त्य दिशा मॆ तो नही अथवा आपका नेर्त्य कोण खुला तो नही। यदि ऐसा है तो सर्वप्रथम इसे बंद करें बंद न कर सके तो संस्थान या घर यदि परिवर्तित कर सके तो करे। यदि यह भी न कर सके तो इस दिशा की वास्तु शांति करवाये। नेर्त्य कोण मॆ हनुमान भैरव, नरसिंह या मां कालीका की तस्वीर लगाये।
*प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"*
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