केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन

नयी दिल्ली : केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का आज निधन हो गया. केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे को मुख्य तौर पर पर्यावरण के लिए किए गए उनके कामों को लेकर जाना जाता है. यह जानकारी सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दिया. उन्‍होंने अपने ऑफिसियल ट्विटर अकांउट से जानकारी दी कि वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे नहीं रहे. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, 60 वर्षीय दवे ने आज सुबह अपने घर पर बेचैनी की शिकायत की और तब उन्हें एम्स ले जाया गया. वहां उनका निधन हो गया. दवे वर्ष 2009 से राज्यसभा के सदस्य थे. दवे एक पर्यावरणविद थे, नदी संरक्षक, लेखक, सांसद और गैर पेशेवर पायलट थे. मोदी सरकार में उन्हें पर्यावरण राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अंतिम सांस लेने से पहले रात तक वे प्रधानमंत्री के साथ मिलकर नीतिगत चर्चा में में लगे थे. 

पीएम मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए लिखा, मेरे दोस्त और एक बहुत ही सम्मानित सहयोगी के अचानक निधन से बिल्कुल चौंक गया, पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे जी के लिए मेरी संवेदना. पीएम मोदी ने दवे की निधन पर शोक जताते हुए लिखा, अनिल माधव दवे जी को एक समर्पित जन सेवक के रूप में याद किया जाएगा. वह पर्यावरण के संरक्षण के प्रति बहुत ही भावुक थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे लिखा, मैं अनिल माधव दवे जी के साथ कल शाम देर तक, प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था. उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान है.

दवे का जन्म 1956 में 6 जुलाई को हुआ था. मध्य प्रदेश के उज्जैन के छोटे से गांव बारनगर में उनका जन्म हुआ था. इसके बाद उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गुजरात में ली. वाणिज्य (कामर्स) में उन्होंने अपनी परास्नातक (मास्टर्स) की डिग्री हासिल की. कामर्स के साथ ही उन्होंने ग्रामीण विकास और प्रबंधन में विशेषज्ञता हासिल की.अनिल माधव दवे कई स्टैंडिंग कमेटियों में सदस्य के तौर रह चुके थे. इसके साथ ही वे कई कमेटियों और सरकारी कार्यक्रमों का नेतृत्व कर चुके थे. कई महत्वपूर्ण बिल औऱ संशोधन दवे के नेतृत्व में हो चुके हैं. रियल स्टेट (रेग्यूलेशन एंड डेवलेपमेंट) बिल, 2015 की सेलेक्ट कमेटी के चेयरमैन दवे ही थे.

नर्मदा नदी के लिए किए गए उनके कामों को लेकर उन्हें जाना जाता है. दवे ने इसके लिए ‘नर्मदा समग्र’ संस्था बनाकर काम किया था. नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए उनका प्रयास था. उन्होंने जागरूकता के लिए 18 घंटो तक नर्मदा के तटों पर खुद हवाई जहाज उड़ाया था. साथ ही 13 सौ 12 किलोमीटर की पदयात्रा भी की थी.


इसके साथ ही एशिया में खास स्थान रखने वाले ‘नदी उत्सव’ के पीछे भी दवे की कोशिशें ही थी. नदी उत्सव में पूरी दुनिया में नदियों के रख रखाव और संरक्षण पर चर्चा होती है. दवे ने कई विषयों पर किताबें लिखी हैं. इनमें राजनीति, प्रशासन, कला और संस्कृति, यात्रा, इतिहास, प्रबंधन, पर्य़ावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे विषय शामिल हैं. उनकी कुछ किताबों के नाम ‘शिवाजी औऱ सुराज’, ‘क्रिएशन टू क्रिमेशन’, ‘रॉफ्टिंग थ्रू ए सिविलाइजेशन’, ‘ए ट्रवेलॉग’, ‘शताब्दि के पांच काले पन्ने’, ‘संभल कर रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दार से’, ‘महानायक चंद्रशेखर आजाद’, ‘रोटी और कमल की कहानी’, ‘समग्र ग्राम विकास’, ‘अमरकंटक से अमरकंटक तक’ आदि.

मध्यप्रदेश के हौशंगाबाद जिले में स्कूलों में बॉयो ट्वालेट बनाने के पीछे भी दवे की कोशिशें ही थीं. इस अभियान के बाद 18 सौ 80 स्कूलों के 98 हजार छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग ट्वायलेट की सुविधा उपलब्ध हुई थी. लालकिले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका जिक्र भी किया था.

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