43% बच्चे बस्ते के बोझ से बीमार हो जाते हैं

नई दिल्ली। भारतीय बाल चिकित्सा पत्रिका में प्रकाशित अध्ययनों के मुताबिक स्कूल जाने वाले 12 से 43 प्रतिशत स्कूली बच्चे भारी बस्ते के चलते पीठ के निचले हिस्से में दर्द से पीड़ित हैं। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने प्रारंभिक बाल शिक्षा के लिए किसी पाठ्यपुस्तक की सिफारिश नहीं की है। 

इसने कक्षा एक और दो के लिए सिर्फ दो पुस्तकें (भाषा और गणित) और कक्षा तीन से पांच तक के लिए तीन पुस्तकें (भाषा, पर्यावरण अध्ययन और गणित) की सिफारिश की है। मंत्री ने कहा कि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के बच्चों की एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों की संख्या और आकार उनकी आयु के अनुसार है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी खुद से संबद्ध स्कूलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि दूसरी कक्षा तक बच्चे बस्ता लेकर ना आएं।

लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। सीबीएसई से संबद्ध प्राइवेट स्कूल किताब माफिया से मिलकर बच्चों को भारी बस्तों का बोझ दे रहे हैं। यह सबकुछ खुलेआम और लगातार हो रहा है। हालात यह हैं कि भाजपा शासित राज्यों में भी सरकारें किताब माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं। 
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