
पार्टी के दोनों ही वरिष्ठ नेताओं को लेकर लगाई जा रही इन अटकलों को इसलिए भी दम मिल रहा है, कि क्योंकि दोनों ही कई मौकों पर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने के संकेत दे चुके है। मध्य प्रदेश के छिंदवाडा से कांग्रेस के सासंद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ तो अपनी इस इच्छा को सार्वजनिक भी कर चुके है। इतना ही नहीं, लंबे समय से दोनों ही नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के बीच इसे लेकर अंदरुनी खींचतान भी चल रही है।
इस सब के बीच यह तो तय है कि यह जिम्मेदारी उसे ही मिलेगी, जिसे राहुल पंसद करेंगे। जानकारों की मानें तो यही वजह है कि दोनों ही नेता अपने-अपने स्तर पर राहुल गांधी को साधने में जुटे है। जिसका नजारा बुधवार को संसद में भी देखा गया। बजट पेश होने के बाद दोनों ही नेता राहुल गांधी के ठीक अगल-बगल ही बैठे। इन दोनों ही राहुल गांधी को अपनी ओर आकर्षित करते देखे गए। हालांकि सदन से निकलने के बाद कमलनाथ तो सीधे निकल गए, लेकिन सिंधिया व राहुल साथ-साथ दिखे। मीडिया से भी बजट को लेकर चर्चा की।
..जो भी होगा जल्द होगा
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से जब मध्य प्रदेश के मुद्दे पर चर्चा की गई, तो उनका कहना था कि जो भी होगा वह जल्द होगा। क्योंकि पार्टी का अगला फोकस मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर ही है। ऐसे में वह बदलाव के साथ जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। सूत्रों की मानें तो पंजाब और उत्तराखंड में पार्टी के पुराने दिग्गजों व यूपी में सपा के साथ गठबंधन करके पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व लगभग फ्री है। ऐसे में उनकी तैयारी अब आने वाले राज्यों की चुनाव तैयारियों को लेकर है।