इस सनकी के जाल में क्यों फंसी आकांक्षा, उसके इशारों पर नाचती थी

भोपाल। भोपाल का सायको किलर सारे देश की मीडिया में सुर्खियां बना हुआ है। उसने केवल अपनी गर्लफ्रेंड को ही नहीं मारा, बल्कि पिता को जहर दिया, मां की भी हत्या की और जमीन में गाढ़ दिया। पता चला है कि वो अपनी पहली पत्नी को भी मार चुका है। थाईलैंड में अय्याशी कर चुका है और पासपोर्ट गुम बताकर नया जारी करवा लिया। आकांक्षा को इसका पता ही नहीं चला। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आकांक्षा जैसी समझदार लड़की इस सनकी के जाल में कैसे फंसी। 

हर कोई हैरान है कि एक बैंक मैनेजर के परिवार की पढ़ी-लिखी बेटी आखिर एक नशेड़ी बेरोजगार लड़के के चंगुल में फंस कैसे गई? आकांक्षा जयपुर से एमएससी इलेक्ट्रॉनिक्स थी। जबकि उदयन ने 2002 में भोपाल के सेंट जोसेफ को-एड स्कूल से 12वीं पास की थी। उसके IIT होने वाली बात भी फर्जी निकली। न्यूयॉर्क में शादी तो दूर, वह कभी वहां गया ही नहीं। 

उदयन के इशारों पर नाचती थी आकांक्षा
उदयन ने पुलिस से कहा है कि साल 2015 में आकांक्षा दिल्ली में शिफ्ट हो गई। वह नहीं चाहती थी कि प्राइवेट नौकरी करे, इसलिए कॉम्पिटीटिव एग्जाम्स की तैयारी शुरू की। अपने ब्वाॅयफ्रेंड उदयन से मिलने 4 महीने के भीतर वह 8 बार फ्लाइट से भोपाल आई। पड़ोसी बताते हैं कि वह जैसे कपड़ों में चाहे आकांक्षा को बालकनी में खड़ा कर देता था और आकांक्षा भी खड़ी हो जाती थी। आकांक्षा जितने वक्त भी यहां रही, वह जैसे उदयन की बंद और रहस्यमयी दुनिया का एक हिस्सा बनकर रही। उसका पड़ोसियों से कोई मेलजोल या बातचीत नहीं थी।

अपने मां बाप से भी झूठ कहा
आकांक्षा ने अपने माता पिता से भी झूठ कहा कि वो अमेरिका में जॉब कर रही है। जबकि वो भोपाल में थी। वो फेसबुक पर अपने मां बाप से वीडियो चैट करती थी। अमेरिका का फील लाने के लिए उदयन ने एक कमरे में अमेरिका की इमारतों के बड़े पोस्टर और झंडा लगा रखा था। पुलिस को तलाश में यह सामान मिला। आकांक्षा के परिवार को तो उसके भोपाल में होने का तब पता चला जब बंगाल पुलिस ने उसके मोबाइल की लोकेशन ट्रेस की। 

दफनाने से पहले पॉलिथीन से ढंक दिया था चेहरा
14 जुलाई 2016 की रात आकांक्षा और उदयन के बीच जमकर बहस हुई थी। आकांक्षा सो गई लेकिन उदयन रातभर जागता रहा। मारने की प्लानिंग करता रहा। 15 जुलाई की सुबह वह आकांक्षा के सीने पर बैठ गया और तकिए से उसका तब तक मुंह दबाता रहा, जब तक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं। फिर उसने आकांक्षा की लाश को फ्रिज में बंद कर दिया। 2 दिन तक वो फ्रिज में ही बंद रही। 

पुलिस पूछताछ में उदयन ने बताया कि लाश को चबूतरे में दफनाने का आइडिया उसे एक इंग्लिश चैनल पर ‘वॉकिंग डेथ’ नाम के सीरियल से आया था। इसमें उसने एक ऐसी ही मर्डर मिस्ट्री देखी थी। आकांक्षा की हत्या के बाद वह शव दूसरे कमरे में ले गया। पुराना बक्सा खाली कर उसमें लाश डाल दी। करीब एक घंटे बाद उसने बक्से में सीमेंट का घोल भर दिया। बक्सा भरने और चबूतरा बनाने में उसने कुल 14 बोरी सीमेंट का इस्तेमाल किया।

टैडी बियर को मानने लगा था आकांक्षा
उदयन जब भी बाहर निकलता, एक बड़ा टैडी बियर कार की सीट पर रखता था। उससे बात भी करता था। पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि उदयन ने आकांक्षा के चबूतरे के ऊपर फांसी का फंदा लटका रखा था। वह खुद भी अपनी जान देना चाहता था लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाया। 

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