
हाईकोर्ट ने तरुण मारवाह को पत्नी प्रीति मारवाह एवं नाबालिग बेटी के भरण पोषण के लिए 18 हजार रुपए महीने देने का निर्णय दिया था। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद तरुण ने कुछ महीनों तक पत्नी को पैसे भेजे, लेकिन इसके बाद उसने पैसा भेजना बंद कर दिया। इसको लेकर पीडि़ता ने एक बार फिर हाईकार्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन तरुण ने अपनी पत्नी को प्रताडि़त करने के लिए केस को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करा लिया, लेकिन पीडि़ता ने सुप्रीम कोर्ट में गुजारिज कर केस को अशोकनगर कुटुम्ब न्यायालय में ट्रांसफर कराया। अशोकनगर कुटुम्ब न्यायालय ने 23 नवंबर को सुनवाई करते हुए तरुण मारवाह के खिलाफ गिरफ्तारी आदेश जारी किए हैं। साथ ही भरण पोषण की राशि वसूलने को कहा है।
ढुलमुल रहा है अम्बाला पुलिस का रवैया
पीड़िताको न्यायालय दिलाने में अम्बाला पुलिस का रवैया ढुलमुल रहा है। इससे पहले अशोनगर कुटुम्ब न्यायालय 18 नवंबर 2015 को अंबाला कैंट पुलिस अधीक्षक को तालीमी एवं भरण पोषण के लिए 12 लाख 35 हजार की वसूली हेतु पत्र भेज चुकी है। कोर्ट की तामील पर अंबाला पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं साथ ही कोर्ट पेशी से गैर हाजिर होने पर कोर्ट के आदेश पर मप्र की अशोकनगर पुलिस भी तरुण मारवाह को गिरफ्तार करने के लिए अम्बाला जा चुकी है, लेकिन स्थानीय पुलिस की मदद नहीं मिलने से की वजह से तरुण गिरफ्तार नहीं हो सका।
प्रीति का विवाह 26 अक्टूबर 2001 में हरियाणा के अम्बाला कैंट थाना क्षेत्र में हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी तरुण पुत्र कीमतलाल मारवाह के साथ हुआ था। शादी के 2 साल बाद 14 मई 2003 को बेटी खुशी पैदा हुई। बेटी होने के बाद से तरुण और उसके परिजनों ने प्रीति पर जुल्म ढहाना शुरू कर दिए। इस दौरान तरुण के परिजनों ने प्रीति को मारपीट और मानसिक प्रताडऩा दी। 2009 में बेटी के साथ घरे से निकाला। इसके बाद वह अपने मायके अशोकनगर (मप्र) आकर रहने लगी और कुटुम्ब न्यायालय से तरुण को नोटिस जारी किया। इसके बाद बदनामी के डर से समाज के लोगों के सामने समझौता किया।
तरुण ने 7 जनवरी 2013 को अशोकनगर कुटुम्ब न्यायालय में शपथ देकर कहा कि वह अपनी पत्नी को परेशान नहीं करेगा। साथ ही तरुण ने अपनी गलतियां मानी और उसमें सुधार लाने की बात कही। इसके बाद 2 जून 2012 को तरुण के घरवालों ने प्रीति को बेटी के साथ धक्के मारकर घर से निकाल दिया। तब से वह अशोकनगर में अपनी बेटी के साथ रह रही है और किसी तरह अपनी गुजर-बसर कर रही है। इस बीच प्रीति ने सुप्रीम कोर्ट तक कानून लड़ाई लड़ी। पहले अशोकनगर कुटुम्ब न्यायालय ने 30 हजार प्रति महीने भरण पोषण के आदेश दिए। जिसके विरोध में तरुण ने हाईकोर्ट से 18 हजार रुपए भरण पोषण देने के आदेश करा लिए। कुछ महीने तो भरण पोषण का पैसा दिया, लेकिन बाद में देना बंद कर दिया। इसके बाद तरुण तो हाईकोर्ट में पेशी पर आया और ही कुटुम्ब न्यायालय में पेश हुआ। अब अशोकनगर कोर्ट ने तरुण की गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं।