70 साल के बुजुर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में दी दलीले, नोटिस जारी हो गया

नईदिल्ली। यूपी के मैनपुरी में एक गांव से आए 70 साल के बुजुर्ग एमपी सिंह ने अपनी सादगी और बेबाकी से शुद्ध व प्रवाहपूर्ण हिंदी में सुप्रीम कोर्ट का दिल जीत लिया और रिवर्स मोर्टगेज स्कीम पर बैंक को नोटिस जारी करवाने में कामयाब हो गए। मामला सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की पीठ के समक्ष आया था।

सिंह ने कहा, मान्यवर हम बुजुर्ग देश की आबादी में 30 करोड़ हैं। हमारी संपत्तियां खतरे में हैं, क्योंकि या तो परिजन उन्हें हड़प लेते हैं या बदमाश कब्जा कर लेते हैं। हम बुरी हालत में हैं, मगर हमारा कोई मददगार नही हैं। उन्होंने कहा, अगर यह बच्चों या महिलाओं का मामला होता, तो हर कोई उनकी मदद को आ जाता।

सिंह ने कहा, बुजुर्गो के लिए कल्याणकारी रिवर्स मोर्टगेज स्कीम को बैंक लागू नहीं कर रहे। इस बारे में वह रिजर्व बैंक के गवर्नर के पास गए। वित्त मंत्री से मिले। प्रधानमंत्री को भी लिखा। लिखा-पढ़ी हुई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

सामान्यतया जैसा कि सुप्रीम कोर्ट करता है, इसमें भी सीजेआई ने कहा, आप इलाहाबाद हाइकोर्ट जाएं। मैनपुरी से वह नजदीक भी है। बुजुर्ग एमपी सिंह ने कहा, मान्यवर मैं न्याय की गंगा के पास आया हूं। मुझे क्यों लखनऊ में गोमती में डुबकी लगाने को कहा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट मैनपुरी से ज्यादा नजदीक है। मुझे न्याय चाहिए। इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह हाईकोर्ट दे या सुप्रीम कोर्ट दे।

सिंह ने कहा, मान्यवर हो यह रहा है कि जिसके पास सब कुछ है, उसे और मिल जाता है। जिसके पास नहीं है, वह और गरीब हो रहा है। सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह बैंकों से योजना लागू करवाए।

पीठ ने कहा, हमारी समस्या यह है कि आप परेशान हो जाएंगे। सिंह ने कहा कि उन्हें परेशानी नहीं होगी। इस पर कोर्ट ने पूछा, किस बैंक के पास गए थे। सिंह ने कहा, केनरा और यूनियन बैंक गए थे। कोर्ट ने पूछा, किस बैंक में जाना चाहते हैं। सिंह ने कहा, मान्यवर यूनियन ही ठीक रहेगा। इस पर कोर्ट ने यूनियन बैंक को नोटिस जारी कर दिया।

यह योजना 2008 में शुरू की गई थी, जिसमें 62 साल व ऊपर के लोग अपने घर को बैंक के पास रेहन रख कर्ज ले सकते हैं। कर्जदार के मरने या घर के बिकने तक उन्हें बैंक को कुछ नहीं देना पड़ता, लेकिन बैंक इस योजना को लागू नहीं कर रहे हैं।
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