अकाउंट में पेमेंट के लिए किसान नहीं है तैयार, 91 साल से चल रहा है नगद कारोबार

भोपाल। मप्र की करीब 600 मंडियां ठप पड़ीं हैं। जिनमें कारोबार हो रहा है, उनमें भी बस बड़े किसान ही आ रहे हैं। शासन ने किसानों को अकाउंट में पेमेंट करने का आॅप्शन दिया है परंतु इसके लिए किसान तैयार नहीं है। करीब 90 साल से यह करोबार नगद में ही होता आया है। अचानक एक दिन में सारा सिस्टम बदलना काफी मुश्किल हो रहा है। 

जानकारी अनुसार शाजापुर मंडी में हर दिन डेढ़ से 2 करोड़ रु. के अनाज की खरीदी का व्यापार होता है। लेकिन पिछले 6 दिन से मंडी में एक बोरी अनाज भी खरीदा-बेचा नहीं गया है। ऐसे में मंडी प्रबंधन को भी नुकसान हो रहा है। प्रदेशभर की मंडियों में भी यही हाल हैं। जिसे देखते हुए राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने नया आदेश जारी किया है। जिसके तहत व्यापारियों के द्वारा किसानों को बैंकों में आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट), चेक, डीडी के माध्यम से भुगतान करने के निर्देश हैं। इसे लेकर अब मंडी प्रबंधन भी अचरज में पड़ गया है। क्योंकि न तो व्यापारी और न ही किसान इसे लेकर संतुष्ट नजर आ रहे हैं। लिहाजा, मंडी सचिव ने बैठक आयोजित करके सहमति बनाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। 

6 दिन में 15 लाख रु. का नुकसान : 
दीप पर्व के बाद खुली मंडी में नोटबंदी का खासा प्रभाव दिखाई देने लगा है। 9 से 14 नवंबर तक शाजापुर मंडी को करीब 15 लाख रुपए के मंडी टैक्स का नुकसान हुआ है। हालांकि मंडी प्रबंधन का मानना है कि यह नुकसान नहीं है। देर-सवेर अनाज मंडी में बिकने जरूर आएगा। लेकिन इसमें समय लग सकता है। 

अधिनियम का उल्लंघन : 
मंडी अधिनियम 37(2) के तहत किसानों को मंडी प्रांगण में ही नकद भुगतान करना अनिवार्य है लेकिन बोर्ड से आए नए निर्देश अधिनियमों का ही उल्लंघन कर रहे हैं। क्योंकि यदि व्यापारी आरटीजीएस करता है तो किसान को दूसरे दिन भुगतान होगा। चेक देने पर किसान को बैंकों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। ऐसे में किसानों की परेशानी बढ़ जाएगी। 

सहमति के बाद लेंगे निर्णय 
भोपाल से आए निर्देशों को लेकर व्यापारियों व किसानों की बैठक आयोजित की गई थी। लेकिन सहमति नहीं बन सकी। मंगलवार को एक बार फिर चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। राजेश मिश्रा, कृषि उपज मंडी सचिव 

1925 से पहली बार बदलेगा भुगतान का तरीका 
किसानों को उनकी उपज का अभी तक नकद भुगतान किया जाता रहा है। लेकिन बोर्ड से आए आदेश के बाद भुगतान का तरीका बदल जाएगा। मंडी के अशोक कुमार जोशी के अनुसार 1925 से लेकर अब तक इस तरह का कोई निर्णय नहीं देखा गया। शुरुआत में कृषि मंडी वजीरपुरा क्षेत्र में लगा करती थी। जिसका कार्यालय सराफा बाजार के वाचनालय के ऊपर हुआ करता था। इसके बाद 1953 में टंकी चौराह पर नई मंडी प्रांगण शुरू हुआ। यहां 47 साल अनाज व्यापार होने के बाद वर्ष 2000 में इसे फूलखेड़ी हनुमान मंदिर के आगे बनी मंडी में शिफ्ट कर दिया गया।  ( पढ़ते रहिए bhopal samachar हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)
If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!