अब कभी भी ब्रांच बदल सकते हैं इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स

भोपाल। इंजीनियरिंग कॉलेजों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत एडमिशन लेने वाले फर्स्ट और सेकंड सेमेस्टर के छात्र भी ब्रांच बदल सकते हैं। उन्हें आईटी समझ नहीं आ रही तो सिविल पढ़ लें। वह भी नापसंद हो तो किसी अन्य ब्रांच में दाखिला ले सकते हैं। पहले यह व्यवस्था ग्रेडिंग सिस्टम के तहत एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए थी। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) ने इसके निर्देश जारी कर दिए हैं।

छात्रों को ब्रांच बदलने का मौका मेरिट के आधार पर मिलेगा। जो छात्र मेरिट में पहले स्थान पर रहेगा, उसे मनपसंद ब्रांच लेने की प्राथमिकता दी जाएगी। आरजीपीवी में सीबीसीएस पिछले शिक्षण सत्र से लागू है। इसके तहत फर्स्ट और सेकंड सेमेस्टर की परीक्षा हो चुकी है।

सीबीसीएस में छात्रों को पहले ही अपनी सुविधानुसार विषय चयन करने का अधिकार है। लिहाजा, उन्हें ब्रांच बदलने का प्रावधान नहीं था। इसके बाद भी कुछ कॉलेजों ने छात्रों से ब्रांच अपग्रेडेशन के आवेदन ले लिए थे। इसे देखते हुए विवि ने नई व्यवस्था लागू कर दी है। ज्ञात हो कि इससे पहले विवि ने ग्रेडिंग सिस्टम लागू किया था। ग्रेडिंग सिस्टम 2009 से 14 तक चला।

इसी को देखते हुए कॉलेजों ने छात्रों से ब्रांच अपग्रेडेशन के आवेदन ले लिए थे। वर्ष 2015 से सीबीसीएस लागू हो गया है। करना होगी अतिरिक्त पढ़ाई ब्रांच अपग्रेडेशन करने वाले छात्रों को अधिक पढ़ाई करना होगी। अगर सेकंड सेमेस्टर का छात्र अपनी ब्रांच अपग्रेड करता है तो नई ब्रांच के फर्स्ट सेमेस्टर वाले दो विषय भी छात्र को क्लीयर करना होंगे। इससे सेकंड सेमेस्टर में छात्र को दो अतिरिक्त पेपर की परीक्षा भी देना होगी। आरजीपीवी के एग्जाम कंट्रोलर डॉ. मोहन सेन का कहना है छात्रों की सुविधा के लिए उन्हें ब्रांच अपग्रेडेशन का मौका दिया गया है।
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