
उन्होंने कहा कि डॉक्टर के अच्छे व्यवहार से मरीज की आधी बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन, डॉक्टर मरीजों से अच्छे से बात नहीं करतेे। ऐसी कई शिकायतें आ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति सरकारी नौकरी चाहता है, लेकिन अब सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है। संविदा पर कर्मचारी रखे जाते हैं।
ये कर्मचारी अच्छा काम करते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी से निकाले जाने का डर रहता है। सरकारी नौकरी में आने के बाद काम न करने वाले को भी निकालना बहुत मुश्किल होता है। वह कहीं स्टे लेकर आ जाता है तो कहीं और आवेदन करता है। ऐसे में सालों निकल जाते हैं। सम्मेलन में प्रदेश भर से करीब 200 फार्मासिस्ट शामिल हुए।
ऐसी मांगें न करें जो पूरी ही न हो सकें
सम्मेलन में मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि फार्मासिस्टों की मांगें जायज हैं। उनका अलग से संचालनालय होना चाहिए। लेकिन, मांगे ऐसी भी नहीं होनी चाहिए कि सरकार पूरी ही नहीं कर सके। सरकार की अपनी सीमाएं हैं। अगर कोई आसमान से तारे तोड़कर लाने की मांग करता है तो यह पूरा करना संभव नहीं है।
इस दौरान फेडरेशन ऑफ इंडियन फार्मासिस्ट आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष डॉ. आरएस ठाकुर, राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह कौरव मौजूद थे। प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अंबर सिंह चौहान ने बताया कि मंत्री ने कहा है फार्मासिस्टों की समस्याओं का समाधान के लिए एक कमेटी बनेगी। इसमें संचालनालय के अधिकारी व एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल होंगे।