राकेश दुबे@प्रतिदिन। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल हो या संजय निरुपम या इप्टा लिपटा का कोई, सेना की निष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगा कर उन्होंने अपने को भारतीय होने के उस अधिकार को लगभग खो दिया है, जिसे गर्व कहा जाता है राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा कहा जाता है। अब पता नहीं यह केजरीवाल एवं इन लोगों को कैसा लग रहा होगा? पाकिस्तान और उनके सुर एकसमान हैं। पाकिस्तान तो अपने अवाम के सामने अपनी इज्जत बचाने के लिए सर्जिकल ऑपरेशन को झूठ साबित करने का यत्न कर रहा है। ये बेचारे ख़ामो खां बन रहे हैं।
केजरीवाल या दूसरे उन्होंने दूसरे रूप में यही किया है। केजरीवाल और अन्य यह न भूलें कि सैन्य ऑपरेशन के महानिदेशक यानी डीजीएमओ ने पत्रकार वार्ता में नियंत्रण रेखा पारकर आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल ऑपरेशन करने की सूचना दी। भारतीय सेना बिना कुछ किए इस तरह की सूचना देश को दे सकती है क्या? भारत के किसी भी रक्षा विशेषज्ञ या पूर्व सैनिकों ने इस सूचना को गलत नहीं माना है। दुनिया के प्रमुख देशों ने भी भारत के दावे पर प्रश्न नहीं उठाया है। इस पर प्रश्न उठाने वाला पाकिस्तान अकेला देश है। उसे पड़ोसी अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भी झिड़की मिली है।

यह सही है कि सर्जिकल ऑपरेशन की खबर के बाद पंजाब का राजनीतिक वातावरण बदला है। सीमावर्ती प्रदेश होने के कारण उस प्रदेश के लिए यह खबर ज्यादा मायने रखता है। सर्जिकल ऑपरेशन से यह उम्मीद पैदा हुई है कि वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व की नीति में अब आतंकवादी हमला रोकने के लिए उनके खिलाफ सीमा पार करके भी कार्रवाई हो सकती है। जनता के इस मनोविज्ञान ने राष्ट्रवाद का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है, जिसमें आम आदमी पार्टी को संभवत: अपना वोट खिसकने की आशंका हो गई है और इप्टा का वामपंथ कहाँ है सब जानते हैं। राजनीतिक स्वार्थों के कारण देश की साख और विसनीयता को चोट पहुंचाना शर्मनाक है। इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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