कैसे सुधरे विश्व में भारत की बिजनेस रैंकिग

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी ‘कारोबार सुगमता रिपोर्ट’ के मामले में वह विश्व बैंक की ताजा रैंकिंग से सहमत नहीं है। विश्व बैंक ने कारोबार सुगमता की दृष्टि से 190 देशों की सूची में भारत को 130 वां स्थान दिया गया है, जो हर दृष्टि से निराशाजनक है। यानी पिछले वर्ष से केवल एक स्थान का सुधार. विश्व बैंक ने इसके लिए जो भी आधार बनाए हों, पर सरकार की इससे असहमति प्रकट करना स्वाभाविक है।

वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं कारोबार सुगमता के मामले में देश को कम-से-कम शीर्ष के 50 देशों में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित कर केंद्र एवं राज्यों से उस पर मिलकर काम करने का आह्वान किया थासरकार का कहना भी सही लगता है कि नई रैंकिंग तैयार करते वक्त केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से किए गए इन सुधारों और कदमों पर पूरी तरह विचार नहीं किया गया।

केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि न केवल केंद्र सरकार, बल्कि देश के तकरीबन सभी राज्य कारोबार करना आसान बनाने की दिशा में काफी अधिक सक्रिय रहे हैं। सरकार की मान भी ले तो ये सुधार हुए हैं, जिनमें से कुछ दिखता है तो इन सुधारों की झलक ताजा रैंकिंग में दिखाई नहीं दे रही है। यह बात सही है कि करीब 12 सुधार ऐसे हैं, जो इस प्रक्रिया का हिस्सा ही नहीं बन पाए। इनमें जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, वाणिज्यिक न्यायालय, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण आदि ऐसे कदम हैं, जो विश्व बैंक रिपोर्ट को तैयार करते वक्त प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाए। पर प्रश्न है क्यों नहीं हो पाए ?

हालांकि प्रधानमंत्री ने विश्व बैंक की रिपोर्ट पर केंद्र और राज्य सरकारों को कारोबार सुगमता के मामले में सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की फिर से समीक्षा के निर्देश दिए हैं। अर्थ असली वजह को रिपोर्ट बनाकर उस पर काम किया जाए। इससे साफ है कि सरकार केवल विश्व बैंक रिपोर्ट का विरोध करने तक ही सीमित नहीं है, वह उस दिशा में भी काम करना चाहती है, जिससे भारत की रैंकिंग सुधरे। यह सही तरीका है. संकल्प हो तो कुछ भी कठिन नहीं है।
एक ओर विरोध और उसके माध्यम से उन बिंदुओं को उजागर करना, जिनको रैंकिंग में शामिल नहीं किया और दूसरी ओर तेजी से वैसे सुधार करना ताकि अगली बार की गणना में वे सब शामिल हों और भारत को बेहतर स्थान मिले। किंतु इसके लिए राजनीतिक दलों एवं राज्य सरकारों को भी पूरा सहयोग करना होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !