मप्र पुलिस में CCTNS विवाद, जांच EOW के पास

भोपाल। मप्र पुलिस में हुए सीसीटीएनएस ट्रेनिंग प्रोग्राम का विवाद अब जांच की जद में आ गया है। ईओडब्ल्यू इसकी जांच कर रहा है। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम के तहत मप्र के 50 हजार पुलिसकर्मियों को कम्प्यूटर ट्रेनिंग दी जानी थी परंतु नहीं दी गई। पुलिस मुख्यालय की ओर से ट्रेनिंग के लिए नियुक्त की गई कंपनी को कई पत्र लिखे गए, लेकिन बिना ट्रेनिंग के उन्हें पेमेंट भी कर दिए गए। अब सारा विवाद उलझ गया है। 

क्या होना था 
सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर के लिए प्रदेश के लगभग 50 हजार पुलिस कर्मियों को वर्ष 2010 में ट्रेनिंग दी जानी थी। इसका जिम्मा दिल्ली की आईटीआई कंपनी को सौंपा गया। कंपनी को 2 साल में पुलिसकर्मियों को यह प्रशिक्षण देना था। जिसमें कम्प्प्यूटर की बुनियादी जानकारी और सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर ऑपरेट करना सिखाना था। इसके लिए टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को लगभग 120 कम्प्यूटर और लाइसेंसयुक्त सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराना था। 

हुआ क्या 
पुलिस प्रबंधन चाहता था कि सॉफ्टवेयर का लाइसेंस पुलिस के नाम हो, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शर्तों के अनुसार तयशुदा पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी नहीं दी गई। इसके बाद सीसीटीएनएस के प्रशिक्षण में अन्य संस्थाओं की मदद ली गई। इसके बावजूद पुलिस प्रबंधन ने आईटीआई कंपनी को लगभग 83 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। 

कंपनी का क्या कहना है 
कंपनी दावा करती रही कि उसने जितना काम किया, उसके अनुसार भुगतान नहीं किया गया है। कंपनी चाहती है कि उसे उसके काम का दाम मिल जाए। भले ही काम पूरा नहीं हुआ, लेकिन जितना हुआ उसका पैसा तो मिलना ही चाहिए। 

प्रा​थमिक जांच में क्या मिला
ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच में पाया कि एक तरफ तो पुलिस मुख्यालय संबंधित कंपनी को काम करने और ट्रेनिंग देने के लिए पत्र लिखता रहा। दूसरी ओर उसे भुगतान भी होता रहा। इतना ही नहीं पुलिस अफसरों ने अपने बचाव के लिए संबंधित कंपनी को कई पत्र भी लिखे। 

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