सरकार, अब आटे का चक्कर

राकेश दुबे@प्रतिदिन। गेहूं का घरेलू उत्पादन कम होने और भारतीय खाद्य निगम के पास पर्याप्त गेहूं नहीं होने से महंगाई बढ़ने की आशंका के मद्देनजर सरकार एहतियात बरतना चाहती है, उसका इरादा गेंहू पर आयात शुल्क घटाने का है। व्यापारियों और आटा मिलों ने घरेलू पैदावार पचास लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। घरेलू बाजार में गेहूं की प्रचुरता बनी रहने पर ही महंगाई के दंश से बचा रहा जा सकता है। समझा जाता है कि गेहूं के आयात शुल्क को घटाकर 10 से 15 प्रतिशत के स्तर पर लाया जा सकता है। अभी यह 25 प्रतिशत है।

जबकि कृषि मंत्रालय ने उत्पादन बढ़ने की बात कही है। मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में 9.35 करोड़ टन उपज होने का अनुमान है। बीते वर्ष गेहूं का उत्पादन 8 करोड़ 65.3 लाख टन रहा था, लेकिन भारतीय खाद्य निगम ने अपेक्षित स्तर पर गेहूं की खरीद नहीं की है| उसने 2.29 करोड़ टन की खरीद की है, जो अपेक्षित से कम है। अभी उसके पास कुल 2.42 करोड़ टन का स्टॉक है।

निगम से ही आटा मिलों को गेहूं मिलता है खाद्य निगम अभी तक खुले बाजार बिक्री योजना के तहत बीस लाख टन गेहूं की बिक्री आटा मिलों को कर चुका है। हाल के दिनों में खाद्य निगम द्वारा इस योजना के तहत बेचे जाने वाली गेहूं की यह सर्वाधिक मात्रा है। गेहूं की कमी पड़ जाने की आशंका से आटा मिलों में चिंता है, वे चाहती हैं कि गेहूं पर आयात शुल्क में कटौती की जाए ताकि उन्हें गेहूं का आयात करने में सहूलियत रहे।

खाद्य मंत्रालय भी आयात शुल्क घटाए जाने के पक्ष में है,हालांकि गेहूं की मौजूदा कीमतें कोई ज्यादा नहीं है। फिलहाल आयात शुल्क में कटौती का कोई इतना बड़ा मामला भी नहीं है। लेकिन निगम के पास गेहूं का स्टॉक कम होने से सभी पक्षों के माथे पर चिंता की लकीर जरूर खिंच गई है। आटा मिल खाद्य निगम से गेहूं की ज्यादा खरीद करना चाहती हैं लेकिन निगम अब आटा मिलों को गेहूं नहीं बेचना चाहता। उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी गेहूं की आपूर्ति करनी पड़ती है। इसलिए अपने स्टॉक को एक खास  स्तर तक बनाए रखना होता है. ऐसे में भारतीय खाद्य निगम से आटा मिलें अब ज्यादा उम्मीद नहीं कर सकतीं. उन्हें आयात का ही अवलंबन लेना होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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