
शासन छोटे कर्मचारियों से लेकर उच्च अधिकारियों का तबादला तो कर देता है, परन्तु शासन के द्वारा बाबुओ का तबादला क्यों नहीं किया जाता है, यदि बाबुओ का प्रमोशन, या तबादला भी होता है तो उसी कार्यालय में अन्य शाखा से दूसरी शाखा में कर दिया जाता है। क्या यही शासन की नीति है, जबकि बाबू का तबादला एक निवासी की तहसील से अन्य तहसील में तबादला किया जाना चाहिए और हर दो से तीन वर्षो में बाबूओ का तबादला होना ही चाहिये। जिससे बाबू राज समाप्त हो जाये। ग़्रह जिलो में भी बाबुओ की पदस्थी नहीं होना चाहिये, ताकि अन्य कर्मचारियों एवं आम आदमियों की समस्यों का अभाष हो सके।
वर्तमान में बाबूओ के द्वारा शासन एवं प्रशासन, उच्चाध्िाकारिओ के आदेशों धज्जियां उडाई जाती हैं। शासन एवं प्रशासन के आदेश फाईलो में रखे शोभा की सुपाडी बनते रहते है एवं बाबू कर्मचारियों की दुर्दशा में ठाहके लगाकर मजे करते है। ऐसे बाबूओ को जो तीन से पॉच वर्षो से ऊपर एक ही कार्यालय में पदस्थ हैं उन्हें अन्यत्र कार्यालय में ग्रह जिला से स्थानातरित किया जाये। जिससे आम जनता एवं आम आदमियों को अपने स्वयं के कार्य करने में कठिनाईया न हो। उदहरण के लिये वन वृत सिवनी के अन्तर्गत दक्षिण वन मण्डल में कार्यरत श्री गौरीशंकर तिवारी बाबू साहब 20 वर्षो से लगातार एक ही कार्यालय में पदस्थ हैं और उनके द्वारा एक तरफा बाबूगिरी राज चालाया जा रहा है।