
पीडित छात्रा की तबियत बिगडते देख उसे कैंपस के भीतर ही चिकित्सक को दिखाया गया जिन्होंने उसे प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की। सूचना मिलने पर छात्रा के परिजन विश्वविद्यालय पहुंचे और विश्वविद्यालय प्रबंधन से कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कैंटीन संचालक के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
मेगा मेस की है स्थापना
राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय में मेगा मेस की व्यवस्था की गई है लेकिन मेगा मेस सिर्फ दिखावा बन कर रह गया है। जिसके चलते छात्र-छात्राओं को कैंटीन में जाकर खाना एवं नाश्ता करना पड़ता है। छात्र-छात्राओं की माने तो कैंटीन संचालक द्वारा खान-पान की सामग्रियों को खुला रखा जाता है। जिसके चलते पके हुए भोजन में छिपकिली, काकरोच एवं कीडे-मकोडे आये दिन मिलते हैं, जिसके चलते छात्र-छात्राओं को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
सांभर की प्लेट में मरी छिपकली
27 अगस्त 2016 दिन शनिवार को विश्वविद्यालय के छात्राओं ने नाश्ता करने के लिए जब कैंटीन गये और वहां इटली, डोसा एवं सांभर का नाश्ता करने लगे तो छात्राओं के प्लेट में मरी छिपकली दिखी। इस विषय की शिकायत करने पर कैंटीन संचालक ने छात्राओं को डांट फटकार लगा कर कैंटीन से भगा दिया। जब इस घटना को लेकर विश्वविद्यालय क्षेत्र में चर्चा का विषय बना तो वहां के स्टॉफ एवं सिक्योरिटी आफीसर ने पीडित छात्रों से चर्चा कर कैंटीन में गये और वहां जाकर वास्तविक घटना का जायजा लिया तो कैंटीन संचालक ने बताया कि बडे बर्तन में जो सांभर रखा था उसमें छिपकली गिर कर मर गई थी। जांच का विषय है कि उक्त कैंटीन संचालक पहले छात्र-छात्राओं को डांट फटकार कर भगा दिया था फिर जब स्टॉफ, अभिभावक एवं छात्राओं ने कैंटीन पहुंच कर जानकारी लेने का प्रयास किया तो घटना सही पाई गई। इस गंभीर घटना से विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड एवं छात्रावास अधीक्षिका हतप्रभ रह गये।
इनका है कहना
नाश्ते में छिपकिली मिली हैै, उसकी सूक्ष्म जांच कराई गई है। कैंटीन संचालक एन के साहू एवं इनके स्टॉफ को नोटिस देकर कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
नागेंद्र सिंह
पीआरओ जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक