बैगा आदिवासियों के 25 बच्चे एक साथ AIPMT में चयनित

मंडला। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। बैगा आदिवासी भारत के आदिवासियों की वह जनजाति है जो आज भी 150 साल पुराने तरीकों से जीवन यापन करती है। इन्हे जंगलों से प्यार है और शहरी जीवन से नफरत करते हैं। यह जनजाति विलुप्त होती जा रही है, इसलिए सरकारें बैगा आदिवासियों को बचाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। ऐसे समाज से निकले 25 बच्चों का AIPMT में चयन हो जाना किसी वर्ल्ड रिकार्ड से कम नहीं है। इसका क्रेडिट मंडला कलेक्टर लोकेश जाटव एवं आदिवासी सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला को जाता है। जिन्होंने चंदा करके इन बच्चों की फीस का इंतजाम किया। 

देश में पहली बार बैगा जनजाति के छात्र को इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा को उत्तीर्ण करने में सफलता मिली है। इस उपलब्धि को लेकर जिले के अधिकारी और जनप्रतिनिधि फूले नहीं समा रहे हैं। चयनित छात्र-छात्राओं की मानें तो AIMPT की परीक्षा पास करना उनके लिये किसी ख्वाब जैसा है क्योंकि उनके पास तो परीक्षा फ़ार्म भरने लिये फीस तक का जुगाड़ नहीं था। ऐसे में जिले के तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव और आदिवासी सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला ने चंदा कर जिले के सभी सरकारी स्कूलों से सैंकड़ों आदिवासी गरीब छात्रों को AIMPT एवं JEE जैसे प्रतियोगी परीक्षा का फ़ार्म भरवाया था।

JEE में भी जिले के 43 आदिवासी छात्र-छात्राओं का चयन हुआ हैं। तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव ने एपीजे अब्दुल कलाम की याद में 100 कलाम और ज्ञानार्जन प्रोजेक्ट की नींव रखी थी, जिसके तहत प्रतिवर्ष जिले के 100 गरीब छात्रों को कलाम बनाने का संकल्प लिया गया था। छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयारी के लिये विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा नि:शुल्क कोचिंग, स्मार्ट क्लास, वर्चुअल क्लास, कंप्यूटर शिक्षा, लाइब्रेरी से लेकर तमाम सुविधाएं मुहैया कराई थी। इस बात को ध्यान में रखते हुये छात्र-छात्राएं भी मेहनत और लगन से प्रोजेक्ट 100 कलाम की परिकल्पना को पूरा करने कोई कोर कसर नहीं छोड़ते नजर आ रहे हैं।

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