मप्र में मंत्रियों की स्टाफ चयन की स्वतंत्रता पर रोक

भोपाल। मप्र में मंत्रियों को अब अपने स्टाफ का चुनाव करने का अधिकार भी नहीं रहेगा। इसके लिए उन्हें संगठन महामंत्री और सीएम से एनओसी लेनी होगी। अर्थ यह कि मंत्रियों के स्टाफ पर अब संगठन महामंत्री का नियंत्रण होगा। इसके बाद क्या क्या होगा, आप खुद कल्पना कर सकते हैं। यह सारी प्रक्रिया मोदी के नाम पर की जा रही है। 

भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने मंत्रियों के स्टाफ के बारे में जानकारी मंगाई है। किस मंत्री के यहां स्टाफ में कब से, कौन सा अफसर और कर्मचारी पदस्थ है, उसका रिकार्ड क्या है। जानकारी जुटाने की जवाबदारी वित्त मंत्री जयंत मलैया को दी गई है। पहले यह डिटेल मुख्यमंत्री के पास भेजी जाएगी, जहां से यह संगठन महामंत्री के पास जाएगी। जानकारी जुटाने के लिए मलैया ने पहले तो सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से ब्योरा मांगा और अब मंत्रियों के फोन कर कर्मचारियों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है।

मोदी ने नाम पर शुरू हुई कवायद
बताया जा रहा है कि यह निर्देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से आए हैं। मोदी का नाम आने से इस प्रक्रिया के तमाम संभावित विरोध थम गए हैं। अभी तक अमित शाह या नरेन्द्र मोदी की ओर से ऐसा कोई बयान जारी नहीं किया गया है परंतु मप्र में यह प्रक्रिया अंतिम चरणों में है। कहा जा रहा है कि बिना संगठन महामंत्री की एनओसी के अब कोई भी मंत्री अपने स्टाफ में किसी कर्मचारी/अधिकारी को शामिल नहीं ​कर पाएगा। 

कप्तान सिंह भी रखते थे मंत्रियों कर्मचारियों पर कंट्रोल
प्रदेश में भाजपा की सत्तारूढ़ सरकार के 13 सालों में चार संगठन मंत्री हुए। इनमें वर्तमान में हरियाणा के राज्यपाल पूर्व में प्रदेश संगठन महामंत्री रहे कप्तान सिंह सोलंकी का वर्ष 2002 से 2007 नवंबर तक कार्यकाल चर्चा में रहा। उस दौरान मुख्य मंत्री रही उमा भारती और बाबूलाल गौर के कार्यकाल में सोलंकी का मंत्रियों पर पूरा नियंत्रण था। इसके बाद माखन सिंह 2007 से 2011 तक संगठन महामंत्री रहे। उनका भी मंत्रियों और उनके स्टाफ पर पूरा नियंत्रण था। अरविंद मेनन 2011 से 2016 तक संगठन महामंत्री रहे। उन्होंने मंत्रियों के स्टाफ की क्लास लेना बंद कर दिया। वो संगठन और सत्ता के दूसरे कामों में ज्यादा रुचि लेते थे। किसी के काम में टांग अड़ाने की घटनाएं कम ही हुई हैं। अब सुहास भगत नए सिरे से मंत्रियों और उनके स्टाफ पर नियंत्रण रखने की कवायद की जा रही है ताकि सरकार की छवि स्वच्छ रह सके।

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