काश्मीर :अब संकल्प नहीं, विकल्प चलेगा

राकेश दुबे@प्रतिदिन। यह बात तो जग जाहिर है किपाकिस्तान लगातार खासकर कश्मीर घाटी में भारत विरोधी भावनाएं भड़काने की फिराक में रहता है| जब भी मौका मिलता है सीमा पार से घुसपैठ के जरिए आतंकियों को रवाना करता है, ताकि घाटी में कभी जन-जीवन सामान्य नहीं रह सके|य ही नहीं, वह अपने कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए शिविर चलाता है और उन्हें हर तरह से हथियारों से लैस करता है| यह भी साफ़ है कि घाटी की मौजूद अशांति में पाकिस्तान की शह है |केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह जब ये बातें लोक सभा में बता रहे थे तो नई बात सिर्फ यह थी कि घाटी में मौजूदा अशांति में भी पाकिस्तान का हाथ है|

इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान कश्मीर में हमेशा ऐसी स्थितियां पैदा करना चाहता है, जिनसे उसे इस मुद्दे को बड़े मंच पर उठाने का मौका मिल जाए| यह भी संभव है कि घाटी में हिज्बुल मुजाहिदीन को वह हर तरह की शह देता हो और जिस बुरहान वानी की मौत के बाद मौजूदा अशांति फैली है, उसे आगे बढ़ाने और उसकी नौजवानों में लोकप्रियता का फायदा उठाने की पाकिस्तान लंबे समय से कोशिश कर रहा है | लेकिन असली सवाल यह है कि हम घाटी का माहौल बिगड़ने से रोकने के उपाय पुख्ता क्यों नहीं कर पाते हैं? कहने को हमारी संसद कई बार पूरा कश्मीर वापिस लेने का संकल्प भी ले चुकी है |

पिछले कई साल से कश्मीर के लोग जैसे आतंकवादियों और अलगाववादियों की धमकियों की परवाह किए वगैर पंचायत से लेकर विधानसभा और लोक सभा चुनावों में हिस्सा लेते रहे हैं, उनसे जाहिर है कि वे एक अमन की व्यवस्था के हिमायती हैं|

ऐसे में यह सोचना लाजिमी है कि अचानक इस कदर हालात क्यों बेकाबू हो गए, जिससे पाकिस्तान को हमारे खिलाफ आवाज उठाने और घाटी में भावनाएं भड़काने का मौका मिल गया? यह तो बेशक बड़ा मसला है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को हासिल करने की कोशिश हमें करनी चाहिए और पाकिस्तान के उस पर नाजायज कब्जे का मसला भी विश्व मंच पर उठाना चाहिए| यह इस लिहाज से भी जरूरी है कि पाकिस्तान को अधिकृत कश्मीर को आतंक की पौधशाला बनने से रोका जा सके. आज समूची दुनिया आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा मानती है| ऐसे में दुनिया को यह बताना जरूरी है कि पाकिस्तान कश्मीर के एक हिस्से का आतंक पनपाने के लिए कैसे इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन यह तभी कारगर ढंग से हो पाएगा, जब हम अपने कश्मीर को सहज-शांत रख पाएंगे| अब संकल्प नहीं फौरन विकल्प की जरूरत है |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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