क्या नाबालिग का चालान काट सकती है ट्रैफिक पुलिस ?

भोपाल। क्या ट्रैफिक पुलिस किसी नाबालिग स्कूल स्टूडेंट को चालान के लिए घंटों रोक सकती है। क्या नियम तोड़ते नाबालिग के विषय में सबसे पहले उसके पेरेंट्स को सूचना नहीं दी जानी चाहिए, और सबसे बड़ी बात यह कि जब नाबालिग को ड्राइविंग की पात्रता ही नहीं है तो उसका चालान कैसे काटा जा सकता है। चालान नाबालिग का कटना चाहिए या उसके पेरेंट्स का। अचानक यह सवाल इसलिए उठ खड़े हुए हैं क्योंकि जबलपुर में ट्रैफिक पुलिस ने एक स्कूल स्टूडेंट को चालान बनाने के नाम पर घंटों रोके रखा। उधर परिवार में छात्र की किडनैपिंग को लेकर दहशत फैल गई। यदि पुलिस सूचित कर देती तो यह हालात ना बनते। 

पढ़िए पीड़ित परिवार की आपबीती
राइट टाउन निवासी संजय गागरिया कम्प्यूटर पार्ट्स के विक्रेता हैं। उनकी पत्नी पूना में नौकरी करती हैं। घर में उनके साथ दो बेटे सोनू-मोनू रहते हैं। सोनू 10 वीं कक्षा का छात्र है जो सेंट अलॉयसिस सदर में पढ़ाई करता है, जबकि छोटा क्राइस्टचर्च स्कूल में 7 वीं कक्षा का छात्र है।मंगलवार को संजय जरूरी काम से सिहोरा चले गए थे, उनके घर के नीचे ऑफिस में कर्मचारी मुकेश था।

दोपहर ऑफिस में भीड़ होने के कारण मुकेश ने सोनू को छोटे भाई मोनू को स्कूल से लाने के लिए एक्टिवा गाड़ी से भेज दिया। 1.30 बजे निकला सोनू 2 बजे तक नहीं लौटा तो मुकेश घबरा गया वो तत्काल दूसरी गाड़ी से बच्चों को ढूंढने निकला लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। करीब 2.30 पर संजय ने सिहोरा से मुकेश को फोन करके बच्चों के बारे में पूछा और मुकेश ने जैसे उनके गायब होने की जानकारी दी संजय के होश उड़ गए।

संजय ने अपने परिचितों को फोन करके बच्चों को ढूंढने के लिए कहा और खुद शहर के लिए रवाना हुए। 3 बजे मुकेश बच्चों को ढूंढते हुए यातायात थाने पहुंचा जहां भीड़ में सोनू-मोनू ने मुकेश को देखते ही आवाजें लगाईं। भूख-प्यास से परेशान बच्चे मुकेश से लिपटकर रोने लगे, जिसके बाद मुकेश ने दोनों को पहले घर छोड़ा फिर संजय को उनकी कुशलता की जानकारी दी।

इस कहानी में एक नया पेंच भी है
शाम करीब 5 बजे संजय शहर आए और सीधे ट्रैफिक थाने पहुंचे, जहां उन्होंने मौजूदा स्टाफ से अपनी गाड़ी छुड़ाने के संबंध में जानकारी मांगी। संजय थाना प्रभारी लवली सोनी के पास भी गए, लेकिन टीआई सोनी ने कहा कि मामला एएसआई धुर्वे के पास है वो आएंगे तब रसीद कटेगी। संजय रात 9 बजे तक इंतजार करते रहे, लेकिन एएसआई धुर्वे जब थाने पहुंचे तो उन्होंने बताया कि ये मामला एसआई तिवारी के पास है वो ही रसीद काटेंगे।

रात 10 बजे थाना लगभग खाली हो चुका था, जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने संजय को थाने के बाहर किया और चैनल गेट लगाते हुए कहा कि सुबह 9 बजे इंदिरा मार्केट पहुंच जाना वहां तिवारी मिलेंगे वही रसीद काटेंगे। जिसके बाद संजय घर लौट गए।

लेट फीस वसूल ली
मंगलवार की सुबह 9 बजे संजय इंदिरा मार्केट पहुंचे लेकिन 11 बजे तक एसआई तिवारी थाने द्वारा बताए गए प्वाइंट पर नहीं पहुंचे। संजय एक बार फिर थाने पहुंचे, जहां संजय अवस्थी नामक आरक्षक से संपर्क किया और फिर अवस्थी ने थाने से रसीद का बंडल निकालकर 2 हजार की आधिकारिक रसीद के साथ 1 हजार रुपए बतौर लेटफीस मांगी। 16 घंटे से ज्यादा परेशान हो चुके संजय ने 1 हजार बतौर लेटफीस देकर अपनी गाड़ी छुड़ाई और फिर घर पहुंचे।

पेरेंट्स को जानकारी क्यों नहीं दी 
संजय का आरोप है कि उन्होंने अपने नाबालिग बेटे को एक्टिवा से स्कूल भेजकर गलती मानी, लेकिन उनका दर्द ये है कि पुलिस जब बच्चों को थाने ले गई तो उन्हें सूचना क्यों नहीं दी गई। संजय के बेटे सोनू ने बताया कि थाने पहुंचने पर उसने पुलिस कर्मियों से कहा था कि पापा या मुकेश अंकल को फोन लगा दो, लेकिन हर बार उसे अपराधियों की तरह डांटकर शांत कर दिया गया।
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