आदमी आज भी 'मुसद्दीलाल' की तरह चक्कर काट रहा है: पंचायत मंत्री ने कहा

भोपाल। 'सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए योजनाएं बनाई हैं, लेकिन सभी लोगों तक इसका लाभ नहीं पहुंच रहा है। आम आदमी आज भी 'मुसद्दीलाल' की तरह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।' सरकारी दफ्तरों को लेकर ये पीड़ा किसी भुक्तभोगी की नहीं, बल्कि प्रदेश के पंचायती राज मंत्री गोपाल भार्गव की है। वह शुक्रवार को प्रशासन अकादमी में दिव्यांगों के लिए केंद्र की योजनाओं पर आयोजित वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे। 

भार्गव ने साफ कहा कि 100 में से 10 अधिकारी ही दिव्यांगों के लिए मदद का भाव रखते हैं। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत भी मौजूद थे। हालांकि उन्होंने सफाई दी कि ये उनका निजी मत है। ये बात आमजन पर भी लागू होती है।

पर सवाल तो सुधार का है
टीवी सीरियल 'ऑफिस-ऑफिस' के मुसद्दीलाल का चेहरा आपको याद होगा, जो सरकारी दफ्तरों में मामूली कामों के लिए चक्कर काटता है। भार्गव को वो अब भी सरकारी दफ्तरों में दिखता है, तो अफसर भी सिस्टम में खामी देखते हैं। सवाल है कि इसे सुधारेगा कौन? बयान देना, व्यंग्य लिखना न समाधान है, न जिम्मेदारी से बचने का रास्ता। सिस्टम में खामी है तो इसे उन्हीं हाथों को दुरूस्त करना होगा, जो इसमें खामियों की ओर इशारा करते हैं।

अधिकारी भी जता रहे पीड़ा
सिस्टम से नाखुश कई अधिकारी सोशल मीडिया पर व्यंग्य में पीड़ा जता रहे हैं-
पीईबी डायरेक्टर भास्कर लाक्षाकार की फेसबुक पर लिखी गईं कुछ पोस्ट-
1. फाइल ही एकमात्र सत्य है बाकी सब मिथ्या है।
2. अर्जेंट फाइल यानी 3-4 दिन का टाइम तो है ही....।
3. कुछ अफसरों को देखकर लगता है कि वे घर में पानी भी नोटशीट पर मांगते होंगे।
4. यह जो नोटशीट तुम लिखते हो, यही दफ्तर रूपी वैतरणी में कामधेनू है, इसी की पूंछ पकड़कर बड़े से बड़ा पापी पार हो जाता है।
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