
दरअसल, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अप्रैल महीने में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और भारत के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कई जजों और 240 वीवीआईपी को भी आमंत्रित किया गया था। अपने प्रवास की अवधि के दौरान सभी मेहमानों को राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया था।
सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे द्वारा दिए गए आरटीआई आवेदन के जवाब में ये सामने आया कि 14 अप्रैल को इन सभी मेहमानों के लिए आयोजित किए गए विशेष भोज में करीब 6.94 लाख रुपए खर्च किए गए। जिसमें से 3.57 लाख तो सिर्फ चांदी के बर्तनों पर खर्च किए गए थे, जिनमें मेहमानों को खाना परोसा गया था। बाकी की 3.37 लाख की राशि खाने पर खर्च की गई थी।
सामान्य तौर पर ऐसे आयोजनों में मध्य प्रदेश के राज्य पर्यटन बोर्ड को भोज संबंधी जिम्मेदारी सौंपी जाती है, लेकिन इस बार सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव के निर्देश पर कोटेशन आमंत्रित किए गए थे, जिसके आधार पर खाने का कॉन्ट्रेक्ट इंदौर के एक नामी कैटरर को दिया गया। चांदी के बर्तनों में खाना देने की बात को ये कहकर उचित ठहराया गया है कि ये व्यवस्था कार्यक्रम में आए मेहमानों के कद को देखते हुए की गई थी।
3,17,270 रुपए के एक और बिल को भी मंजूर किया गया था, जिसे मेहमानों के लिए चाय, मंहगे उपहार आदि पर खर्च किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है, हम भोज के खिलाफ नहीं बल्कि उसमें इस्तेमाल किए गए चांदी के बर्तनों और महंगे उपहारों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि, ये सब करदाताओं के पैसों से किया गया है।
अजय दुबे द्वारा फाइल किए गए एक और आरटीआई के जवाब में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी ने उनसे कार्यक्रम पर किए गए खर्च के ब्यौरे का खुलासा करने के लिए 'आतिथ्य' को परिभाषित करने के लिए कहा है। जिसके आधार पर जानकारी दी जाएगी।