
वह पास जरूर हो गई लेकिन हम लोग दुखी है
मृतका के भाई अखिलेश ने बताया कि गुरुवार को कंचन का अस्थि विसर्जन था। सुबह जब हम लोग घर से निकल रहे थे। तब मुझे याद था कि मिट्टी के घड़े में समाई मेरी इस नादान बहन का आज रिजल्ट आना है। बरमान के घाट पर रह-रहकर मुझे और पिताजी को कंचन की याद आ रही थी। मन हो रहा था कि कब शाम के चार बजे और रिजल्ट देख लूं। देखूं कि इस रिजल्ट में ऐसा क्या होने वाला था, जिससे वह इतना डर गई थी।
रिजल्ट देखा तो गहरा धक्का लगा। मेरी बहन पास हो गई थी। ऐसा शायद ही किसी के साथ हुआ हो कि उसका कोई अपना पास हुआ और उसे दुख हो। कंचन सेकंड डिवीजन पास थी और मेरी आंखों में सिवाए दुख के आंसुओं के कुछ नहीं था।
परीक्षाओं के रिजल्ट से बढ़कर और भी बहुत कुछ है
फेल होने के डर से मौत को गले लगाने वाली कंचन के रिजल्ट की मुझे जानकारी मिली तो गहरा सदमा लगा। हालांकि वह पास होती या फेल। इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अफसोस यह हुआ कि उसने एक ऐसे परीक्षा परिणाम के डर से फांसी लगा ली। जो जीवन में सफल होने के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता। यह बात कॅरियर काउंसलर एडवोकेट. अजयदीप मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में विद्यार्थियों को कॅरियर बनाने के इतने विकल्प मिल चुके हैं कि इन परीक्षाओं में पास या फेल होना बेमानी सा हाे गया है।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इन परीक्षाओं में शामिल होना बंद कर देना चाहिए। ऐसे समय में माता-पिता, गुरुजनों और संगी-साथियों की जवाबदारी बनती है कि वह इन किशोरवय बच्चों को सलाह दें कि अगर वह इस परीक्षा में पास नहीं होंगे तो उनके लिए स्व-रोजगार, तकनीकी शिक्षा, कला, खेल, सेना, पुलिस जैसे तमाम विकल्प हैं।
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