झाड़ू-पोछा वाली बाई की बेटी मप्र की टॉपर

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भोपाल। मप्र के बोर्ड रिजल्ट में एक बार फिर उन स्टूडेंट्स ने कमाल दिखाया है, जो बेहद विपरीत स्थितियों में पढ़ाई कर रहे हैं। सीहोर की कविता यादव उन्हीं में से एक है। कविता की मां दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछा कर परिवार चलाती है। आठ भाई-बहनों में सबसे छोटी कविता ने बायोलॉजी ग्रुप में दूसरा नंबर हासिल कर मेरिट में जगह बनाई है। 

कविता सीहोर के एक्सीलेंस स्कूल में पढ़ती हैं। बायोलॉजी सब्जेक्ट के साथ उन्होंने 12वीं में 500 में से 470 नंबर हासिल किए हैं। कविता के पिता नहीं है और आठों भाई-बहन मां के काम के दम पर पढ़ाई कर रहे हैं। वे बताती हैं कि छह साल पहले पिता की मौत हो गई। वे सरकारी टीचर थे। सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी। उसके बाद तो जैसे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। मां सीहोर के कुछ घरों में झाड़ू-पोछा और खाना बनाकर घर चला रही है।

बेटी कुछ बन जाए, यही सबसे बड़ी दौलत
कविता की मां भागवती सबसे छोटी बेटी की इस सफलता से बेहद उत्साहित हैं। कविता के परीक्षा परिणाम से उनके चेहरे पर तेज और एक विश्वास आ गया है कि अब उनके दिन जरूर बदलेंगे। वे कहती हैं कि बेटी कुछ बन जाए, यही उनके लिए सबसे बड़ी दौलत है। जिस दिन कविता डॉक्टर बन जाएगी, मेरी तपस्या सफल हो जाएगी।
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