ग्वालियर: दुनिया का दूसरा जहरीली हवाओं वाला शहर

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नई दिल्ली। दिल्ली पर सबसे प्रदूषित होने का लगा दाग अब मिटता नजर आ रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) की नई रिपोर्ट से इस बात का खुलास हुआ है। रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में नीचे रखा गया है। हालांकि इस सूची में भारत के कई शहरों को टॉप टेन लिस्ट में शामिल किया गया है जिनमें मध्‍य प्रदेश का ग्‍वालियर दूसरे और यूपी का इलाहाबाद तीसरे नंबर पर है।

जबोल दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर
डब्लूएचओ की नई रिपोर्ट के मुताबिक ईरान केे जबोल को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है। जबकि भारत के चार शहरों को टॉप टेन प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल किया गया है। दिल्‍ली इस लिस्‍ट में 11वें नंबर पर है।

3000 शहरों में हुई जांच 
डब्लूएचओ की ओर से जारी नई लिस्ट में दिल्ली को 11 वें स्थान पर रखा गया है। 103 देशों की 3000 शहरों से प्राप्त आंकड़ों के बाद ये सूची तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक बारीक कणों.. पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर की जांच की गई। जिसमें दिल्ली के प्रदूषण में वर्ष 2014 के मुकाबले बहुत सुधार हुआ।

टॉप टेन सूची में भारत के चार शहर
भारत के इन शहरों में सबसे पहला नाम मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर का है। ग्वालियर को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। वहीं एमपी का पड़ो़सी राज्य उत्तर प्रदेश भी इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं है। 

यूपी के शहर इलाहाबाद को भी टॉप टेन सूची में रखा गया है। इलाहाबााद को दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। बिहार की राजधानी पटना को छठा और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को सातवां दुनिया केे सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किया गया है।

वर्ष 2014 की रिपोर्ट पर अगर गौर करें तो डब्लूटीओ ने दुनिया केे 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 13 शहरों को शामिल किया था।

अमेरिका के शहरों में प्रदूषण कम
प्रदूषण के मामले में अमेरिका के शहर सबसे पीछे हैं। यहां की हवा में सिर्फ 2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर ही प्रदूषण दर्ज किया गया।

जानकारों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रित करने के प्रयास से काफी सुधार हुआ है । उनका कहना है कि ये आंकड़ें सिर्फ बारीक कणों से होने वाले प्रदूषण से लिये गए हैं, जबकि नाइट्रो ऑक्साइड की मात्रा भी हवा में बढ़ने से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। ऐसीी स्थित पश्चिमी देशों में ज्यादा हैं। यूरोप के कई शहर काफी मात्रा में इस गैस का उत्सर्जन करते हैं।
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