RTI: राजश्री गुटखा की जांच रिपोर्ट छिपाने वाले अधिकारी पर जुर्माना

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई के तहत चाही गई जन स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी समय पर न देने के कारण लोक सूचना अधिकारी को धारा 7 (1) के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए दस हजार रू. के जुर्माने से दंडित किया है। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी/खाद्य सुरक्षा अधिकारी, जिला भिंड, दिनेष लोधी को जुर्माने की राशि एक माह में आयोग में जमा कराने का आदेश दिया गया है। 

सूचना आयुक्त आत्मदीप ने उज्जैन के इंजीनियर हर्ष शुक्ला की अपील स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि लोधी के विरुद्ध आयोग द्वारा जारी कारण बताओ सूचना पत्र के जवाब में लोधी ने स्वीकार किया है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) एवं पदेन उपसंचालक खाद्य व औषधि प्रशासन ने उन्हें आवेदक को जानकारी देने के निर्देष दिए थे, जिस पर उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। लोधी इसका कोई युक्तियुक्त कारण बताने में भी विफल रहे। अपीलीय अधिकारी के आदेश का भी समय सीमा में पालन नहीं किया गया।

यह है मामला
अपीलार्थी शुक्ला ने भिंड जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2012 से प्रतिबंधित जानलेवा तंबाकू, निकोटीन युक्त गुटखा की बिक्री के विरुद्ध की गई कार्रवाई, छापे/जब्ती आदि की कार्रवाई तथा प्रयोगशाला परीक्षण में नमूने पास/फेल होने की जानकारी मांगी थी। सीएमएचओ ने दिनेश लोधी को उक्त आवेदन की प्रति भेजते हुए निर्देशित किया कि वे आवेदक को वांछित जानकारी सीधे प्रदाय कर शाखा को सूचित करें। किन्तु लोधी ने जानकारी मुहैया नहीं कराई। इसके बाद प्रथम अपीलीय अधिकारी संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, ग्वालियर ने भी आदेश दि. 26/03/14 से तत्कालीन लोक सूचना अधिकारीे को निर्देशित किया कि चाही गई जानकारी 10 दिन में अपीलार्थी को निःशुल्क उपलब्ध कराएं किन्तु जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। इस पर आयोग में द्वितीय/अंतिम अपील की गई जिस पर अपीलार्थी को वांछित जानकारी दिलाते हुए लोधी के विरूद्ध दंडादेश पारित किया गया। 

आयोग के आदेश से 2 साल बाद मिली जानकारी
आयोग के आदेश के पालन में आवेदन दि. 11/10/13 में चाही गई जानकारी दि. 20/01/16 को अपीलार्थी को पंजीकृत डाक से मुहैया कराई गई। जानकारी में बताया गया कि वर्ष 2012 से आवेदन दि. 11/10/13 तक 4 प्रतिष्ठानों से राजश्री गुटखा के मात्र 4 नमूने लिए गए जो खाद्य प्रयोगशाला में अमानक स्तर के पाए गए। ये नगण्य मामले 3 साल बाद भी अभियोजन स्वीकृति आदेश हेतु लंबित बताए गए। 

गंभीर टिप्पणी
फैसले में सूचना आयुक्त आत्मदीप ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य खाद्य प्रयोगशाला की जांच रपट मिलने के बाद, जन स्वास्थ्य से जुड़े अमानक प्रकरणों में तीन साल बाद भी अभियोजन की मंजूरी नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। व्यापक लोकहित से संबंधित ऐसे मामलों में अभियोजन की कार्यवाही तत्परतापूर्वक संपादित की जानी चाहिए। खाद्य व औषधि प्रशासन से जनहित व न्यायहित में अपेक्षा की जाती है कि वे इस संबंध में अविलंब यथावांछित कार्यवाही करेेंगे।
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