संयुक्त मोर्चे का गठन का मुख्य उदेश्य ही अध्यापक हित है। हम चाहते हैं समस्या का समाधान राजनीति हमारा उदेश्य नहीं है न नाम की आवश्यकता है। आवश्यकता है तो सिर्फ और सिर्फ अध्यापक हित की। वर्षों से हमने संघर्ष किया है, अध्यापक हित की भावना लेकर एवं संकल्प लेकर हम चले थे। सफलता निरन्तर मिली और एक एक कदम आगे बढ़ाया रुके नहीं चलते ही रहे। कई बार असफलता का मुँह भी देखना पड़ा परंतु झुके नहीं आगे बड़े।
साथियों आज जो भी बयानबाजी की जा रही है और हमें आरोपी बनाया जा रहा है तो मैं यही कहूँगा कि ..........हाँ मैंने अपराध किया है आप अपराधी बना सकते है।
1.मैने अध्यापक हित की बात की यह मेरा अपराध है।
2.मैं अध्यापक हित में लड़ा यह मेरा अपराध है।
3.अध्यापक हित सर्वोपरि मानकर मैंने अपने नाम की परवाह नहीं कि यह भी मेरा अपराध है
4.अध्यापक हित में हमने सड़कों पर आंदोलन किया यह भी मेरा अपराध है।
5.अध्यापक हित की हर लड़ाई में हमेशा बिना शर्त शामिल हुआ यह भी मेरा अपराध है।
साथियों अध्यापक हित में मैं हर अपराध करने करने को तैयार हूँ। बस अध्यापक हित सर्वोपरि है। साथियों जिसे नाम चाहिए वो नाम कमाए किसी कोई आपत्ति नहीं। हम हर समस्या के समाधान की कोशिश करेंगें। आप सब साथ हैं तो सफल भी होंगें।
हमारी पूर्व घोषणा है कि अगर गणना पत्रक में विसंगति रही तो जारी होने के पांचवें दिन से संयुक्त मोर्चा आंदोलन करेगा। अध्यापक संवर्ग की हर मांग का निराकरण होगा।
आपका
बृजेश शर्मा
अध्यापक संयुक्त मोर्चा