पढ़िए, MP PWD के चतुर्थश्रेणी संविदा कर्मचारी की काली कमाई

भोपाल। मप्र के सरकारीतंत्र की रंगों में घूसखोरी और भ्रष्टाचार किस स्तर तक पहुंच गया है, यह मामला इसकी ताजा नजीर है। सत्तासीन मठाधीशों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा परंतु आम आदमी के लिए चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि पीडब्ल्यूडी विभाग में मात्र 8000 रुपए महीने की पगार पर काम करने वाला चतुर्थश्रेणी कर्मचारी कुछ ही सालों में 3 कंपनियों और करीब 8 करोड़ की ब्लैकमनी का स्वामी बन चुका है। 

लोकायुक्त पुलिस को शिकायत मिली थी कि चीनौर में पदस्थ पीडब्ल्यूडी के टाइम कीपर दुर्गपाल सिंह परमार के पास बेहिसाब संपत्ति है। जो उसकी आय से कई गुना ज्यादा है जबकि उसकी पगार महज 8 हजार है। लोकायुक्त पुलिस ने पहले तो उसके बारे में जानकारी जुटाई। इसके बाद आज सुबह साढ़े पांच बजे लोकायुक्त पुलिस टीम ने सीधे करहिया में परमार के घर रेड की। 

पुलिस को इस दौरान तीन कंस्ट्रक्शन कंपनियों के दस्तावेज मिले। जो महादेव, महाकाल व कामदगिरी के नाम से रजिस्टर्ड हैं। इन कंपनियों के माध्यम से करोड़ो का लेन-देन भी होने की जानकारी सामने आई है। इसके साथ ही 15 बैंक खाते भी मालूम चले है। 

  • संपत्ति का कच्चा चिट्ठा
  • दो मंजिला मकान करहिया में, 
  • एक और मकान करहिया में, 
  • एक प्लॉट, 
  • 27 लाख कीमत के तीन डंपर, 
  • 23 और 45 लाख कीमत की 2 जेसीबी मशीनें, 
  • दो ट्रैक्टर, 
  • 3 कंस्ट्रक्शन कंपनी, 
  • 13 लाख कीमत की स्कॉर्पियों गाड़ी, 
  • दो महिन्द्रा जीप, 
  • टाटा आरिया, 
  • बाइक, 
  • 4.73 लाख नकद, 
  • 1.60 लाख के सोने-चांदी के जेवर, 
  • 15 बैंक खाते।
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