
मंडल ने 20 मार्च से मूल्यांकन शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि सरकारी शिक्षकों की कमी के चलते मूल्यांकन में दिक्कत आ रही है। फिर भी 40 फीसदी मूल्यांकन हो चुका है। समय से रिजल्ट देने के लिए मंडल ने प्राइवेट शिक्षकों की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है। इनके लिए एक ही कक्षा में 10 साल पढ़ाने का नियम शिथिल करना पड़ा है। अब तीन स्कूलों में 10 साल लगातार पढ़ाने वाले शिक्षकों से भी कॉपियां चेक कराई जा रही हैं।
नहीं मिल रहे अंग्रेजी के शिक्षक
मंडल के अंग्रेजी माध्यम की कॉपियां चेक कराने में दिक्कत हो रही है। दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग में अंग्रेजी विषय के शिक्षकों का टोटा है, जबकि मंडल से संबद्ध प्राइवेट स्कूलों के छात्रों ने अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा दी है। इन छात्रों की कॉपियां चेक कराने मंडल को प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक बुलाने पड़ रहे हैं। संस्कृत और उर्दू के मामले में भी ऐसे ही हालात हैं।
प्रक्रिया पूरी करने में लगेंगे 10 दिन
यदि मंडल 25 अप्रैल को मूल्यांकन पूरा कर लेता है, तो भी रिजल्ट से पहले की प्रक्रिया पूरी करने में 10 दिन लग जाएंगे। मूल्यांकन के बाद प्रिंटर्स को अंक पत्रक भेजना, पत्रक एवं कॉपियों के अंक का मिलान करना और रिजल्ट प्रिंट होने के बाद उसका परीक्षण करने में समय लगता है। कई बार इस कार्य में 15 दिन भी लग जाते हैं। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक 10 जून से पहले रिजल्ट घोषित करना अनिवार्य है।