क्या मप्र के 10 लाख कर्मचारी बेमुद्दत हड़ताल के लिए तैयार हैं

भोपाल। 50 फीसदी महंगाई भत्ता मूल वेतन में जोड़ने सहित 71 सूत्रीय मांगों को लेकर बेमुद्दत हड़ताल से पहले मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा कर्मचारियों का मन टटोलेगा। मोर्चा पदाधिकारी मई में पूरे प्रदेश का दौरा कर जानने की कोशिश करेंगे कि हड़ताल की जाए या नहीं।

इसके बाद 21 मई के बाद हड़ताल की घोषणा होगी। इससे पहले कर्मचारी 11 मार्च को एक दिन सामूहिक अवकाश कर चुके हैं, लेकिन अब आंदोलन को व्यापक पैमाने पर अंजाम देने से पहले कर्मचारियों का मन टटोला जाएगा। फिलहाल मोर्चा के पदाधिकारियों के दौरे की रूपरेखा तय हो रही है।

मोर्चा के मुख्य पदाधिकारी मई के पहले हफ्ते में दौरे शुरू करेंगे और हर जिले में एक रात ठहरकर वहां के मुख्य कर्मचारी नेताओं की राय जानेंगे। इसके बाद राजधानी में मोर्चा की बैठक होगी, जिसमें रायशुमारी में आए नतीजे सामने रखकर तय होगा कि बेमुद्दत हड़ताल करें या नहीं। यदि हड़ताल पर सहमति बनी तो 21 मई के बाद ऐलान किया जाएगा। सिंहस्थ को देखते हुए 21 मई तक कर्मचारी किसी हड़ताल आदि के पक्ष में नहीं है। 

इसलिए कराना पड़ रही रायशुमारी 
11 मार्च की हड़ताल में राजधानी के कुछ कर्मचारी नेताओं की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए मोर्चा ने रायशुमारी का रास्ता निकाला। दरअसल, इस हड़ताल में कर्मचारी तो शामिल हुए थे, लेकिन कुछ नेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हड़ताल को कमजोर कर रहे थे। यही कारण है कि शहर के सरकारी दफ्तरों में दोपहर की तुलना में सुबह हड़ताल का ज्यादा असर दिखाई दिया था। 

आम कर्मचारी हड़ताल के लिए तैयार 
मोर्चा के संरक्षक भुवनेश पटेल ने दावा किया है कि कर्मचारी सरकार से तंग आ चुका है और हड़ताल के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसलिए सरकार को मांगें पूरी करने की दिशा में काम करना चाहिए। अन्यथा सिंहस्थ के बाद हड़ताल तय है। वे कहते हैं कि नेताओं के स्तर पर कुछ मिस मैनेजमेंट है, जिसे सुधारा जा रहा है। 
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