Legal drafting: सिर्फ एक शब्द जो आपकी जिंदगी को आसान नहीं मुश्किल बना सकता है, जिससे आपको बचना चाहिए

हममें से ज़्यादातर लोग अपने जीवन में कई तरह के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करते हैं या उन्हें बनाते हैं। रेंट एग्रीमेंट, बिजनेस पार्टनरशिप डीड, जॉब ऑफर लेटर, जॉब अपॉइंटमेंट लेटर, कई प्रकार के एफिडेविट और एग्रीमेंट, या शायद एक वसीयत। प्रत्येक डॉक्यूमेंट की अपनी एक लीगल वैल्यू होती है। देखने में आया है कि ज्यादातर लोग कुछ शब्दों को महज़ औपचारिकता मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। बाद में यही शब्द या एक अस्पष्ट वाक्य उनकी लाइफ में बड़ी मुसीबत खड़ी कर देता है।

इसलिए हमेशा ध्यान रखिए कि, कानूनी दस्तावेज़ तैयार करना (लीगल ड्राफ्टिंग) एक "शांत शक्ति" है। इसका असली उद्देश्य आकर्षक भाषा का इस्तेमाल करना नहीं, बल्कि भविष्य में होने वाले विवादों को पैदा होने से पहले ही खत्म कर देना है। इसका महत्व इस एक वाक्य में छिपा है:

"एक अच्छी तरह से तैयार किया गया वाक्य एक विवाद को रोक सकता है; जबकि एक खराब तरीके से लिखा गया क्लॉज़ एक नए विवाद को जन्म दे सकता है।"

यह लेख आपको दस्तावेज़ लिखने के उन पाँच सबसे आश्चर्यजनक और प्रभावशाली सिद्धांतों के बारे में बताएगा, जिनके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए। ये छोटी-छोटी बातें यह तय कर सकती हैं कि कोई दस्तावेज़ आपकी रक्षा करेगा या आपको कानूनी लड़ाई में उलझा देगा।

1. एक शब्द जो करोड़ों का खेल बदल दे: 'Shall' और 'May'

लीगल डॉक्युमेंट्स में, विशेष रूप से मध्यस्थता (Arbitration) क्लॉज़ में, 'shall' (किया जाएगा) और 'may' (किया जा सकता है) के बीच का अंतर ज़मीन-आसमान का होता है। उदाहरण के लिए, एक क्लॉज़ जो कहता है कि विवादों को "मध्यस्थता के लिए भेजा जाएगा" ('shall be referred to arbitration'), एक अनिवार्य दायित्व बनाता है। इसका मतलब है कि दोनों पक्ष अदालत जाने के बजाय मध्यस्थता के लिए बाध्य हैं।

इसके विपरीत, यदि क्लॉज़ में लिखा है कि विवादों को "मध्यस्थता के लिए भेजा जा सकता है" ('may be referred to arbitration'), तो यह केवल एक विकल्प बन जाता है। ऐसी स्थिति में, एक पक्ष मध्यस्थता को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर सकता है और सीधे अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है। एक शब्द बदलने से आप विवाद सुलझाने का नियंत्रण अपने हाथ से खो सकते हैं और उस मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरी तरह से निरर्थक बना सकते हैं जिसे आपने अपनी सुरक्षा के लिए बनाया था। यह हमें सिखाता है कि कानूनी भाषा सिर्फ औपचारिक दिखने के लिए नहीं होती; इसका हर शब्द सटीक और बाध्यकारी दायित्व बनाने के लिए चुना जाता है।

2. जगह का भ्रम: 'वेन्यू' से ज़्यादा महत्वपूर्ण 'सीट' क्यों है?

मध्यस्थता समझौतों में 'सीट' (Seat) और 'वेन्यू' (Venue) दो ऐसे शब्द हैं जिन्हें अक्सर लोग एक ही समझ लेते हैं, लेकिन यह एक बहुत बड़ी और महंगी गलती साबित हो सकती है।

* वेन्यू (Venue): यह केवल सुनवाई का भौतिक स्थान है। यानी वह शहर या ऑफिस जहाँ बैठकें होती हैं। यह एक 'टूरिस्ट वीज़ा' की तरह है, जिसे सुविधा के अनुसार बदला जा सकता है।
* सीट (Seat): यह मध्यस्थता का कानूनी घर (Legal Home) है। यह एक 'कानूनी नागरिकता' की तरह है, जो यह तय करती है कि मध्यस्थता पर कौन सा कानून लागू होगा और किस अदालत का उस पर अधिकार क्षेत्र होगा।

इन दोनों को मिला देने से कानूनी अनिश्चितता पैदा होती है। यह एक ऐसी कानूनी खामी है जिसका विरोधी पक्ष फायदा उठा सकता है, और आपको एक ऐसे शहर की अदालत में खींच सकता है जिसका विवाद से कोई लेना-देना नहीं, जिससे आपका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। यह एक आश्चर्यजनक लेकिन महत्वपूर्ण सबक है: मध्यस्थता में भौतिक बैठक की जगह से ज़्यादा महत्वपूर्ण उसका कानूनी घर होता है।

3. पारिवारिक विवाद की जड़: वसीयत में अस्पष्ट भाषा का ख़तरा

वसीयत तैयार करना एक अनूठी चुनौती है क्योंकि जब उसे लागू करने का समय आता है, तो उसे लिखने वाला व्यक्ति अपनी मंशा स्पष्ट करने के लिए मौजूद नहीं होता। इसलिए, इसमें ज़रा सी भी अस्पष्टता पारिवारिक विवादों को जन्म दे सकती है।

उदाहरण के लिए, किसी लाभार्थी को "मेरा सबसे बड़ा बेटा" कहकर संबोधित करना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर ऐसे परिवारों में जहाँ एक से ज़्यादा शादियाँ हुई हों या पितृत्व को लेकर कोई विवाद हो। इसके बजाय, लाभार्थी का पूरा कानूनी नाम और अन्य पहचान विवरण (जैसे जन्मतिथि) का उपयोग करना चाहिए।

इसी तरह, संपत्ति का वर्णन "दिल्ली में मेरी संपत्ति" जैसा अस्पष्ट नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, पूरा पता, सर्वे नंबर, या टाइटल डीड का हवाला देना चाहिए। इसी तरह, शेयरों और वित्तीय संपत्तियों के लिए, कंपनी का नाम, डीमैट अकाउंट का विवरण, और सर्टिफिकेट नंबर स्पष्ट रूप से लिखें। वसीयत में अस्पष्टता मुकदमेबाज़ी को खुला निमंत्रण है। पूर्ण स्पष्टता ही यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि वसीयतकर्ता की इच्छाओं का बिना किसी विवाद के पालन हो।

4. कागज़ी शांति: जब पारिवारिक समझौते अदालत में फेल हो जाते हैं

पारिवारिक समझौता दस्तावेज़ का उद्देश्य स्थायी शांति स्थापित करना होता है, लेकिन प्रक्रियात्मक गलतियाँ इसे पूरी तरह से बेकार बना सकती हैं। अक्सर दो महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है:
1. स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty): समझौते पर सही मूल्य की स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाना अनिवार्य है।
2. पंजीकरण (Registration): यदि समझौता किसी अचल संपत्ति (Immovable Property) से संबंधित है, तो इसे पंजीकृत (Register) कराना अनिवार्य है।

कई लोग दूसरे बिंदु की गंभीरता को नहीं समझते। यदि समझौता पंजीकृत नहीं है, तो कानूनी तौर पर अचल संपत्ति के मामले में अदालत की नज़रों में इसका कोई अस्तित्व नहीं होता। यह सिर्फ़ एक कागज़ का टुकड़ा रह जाता है। यह जानना आश्चर्यजनक है कि एक पूरी तरह से बातचीत कर बनाया गया पारिवारिक समझौता, उसकी सामग्री के कारण नहीं, बल्कि इन सरल प्रक्रियात्मक नियमों का पालन न करने के कारण पूरी तरह से विफल हो सकता है।

5. निष्पक्ष मध्यस्थ का छलावा: जब अपना ही आदमी फ़ैसला नहीं कर सकता

मध्यस्थता का मूल सिद्धांत यह है कि निर्णय लेने वाला व्यक्ति (मध्यस्थ) निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए। लेकिन अक्सर समझौते में ऐसी शर्तें डाल दी जाती हैं जो इस सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं।

उदाहरण के लिए, किसी कंपनी के प्रबंध निदेशक (Managing Director) को मध्यस्थ के रूप में नामित करना या कंपनी के चेयरमैन को मध्यस्थ नियुक्त करने का अधिकार देना गलत है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने टीआरएफ लिमिटेड (TRF Ltd.) और पर्किन्स ईस्टमैन आर्किटेक्ट्स (Perkins Eastman Architects) जैसे मामलों में स्पष्ट किया है कि ऐसी नियुक्तियाँ अमान्य हैं।

इसका मुख्य सबक यह है कि सच्ची निष्पक्षता एक वैध मध्यस्थता के लिए आवश्यक है। कोई भी ऐसी व्यवस्था जो एक पक्ष को मध्यस्थ की नियुक्ति पर नियंत्रण देती है, पूरी प्रक्रिया को ही अमान्य कर सकती है।

निष्कर्ष: अदृश्य रहना ही लक्ष्य है

अच्छी कानूनी ड्राफ्टिंग का सार दूरदर्शिता और रोकथाम है। इसका लक्ष्य खुद को उजागर करना नहीं, बल्कि समस्याओं को पैदा होने से रोकना है।

सटीक ड्राफ्टिंग का असली मूल्य तब दिखाई देता है जब मध्यस्थता के क्लॉज़ अदालती जांच में खरे उतरते हैं, जब वसीयतें बिना किसी विवाद के लागू होती हैं, और जब पारिवारिक समझौते मुकदमेबाज़ी को भड़काने के बजाय शांति बनाए रखते हैं। अच्छी ड्राफ्टिंग अदृश्य होती है क्योंकि उसका उद्देश्य ही समस्याओं को पैदा होने से रोकना है। लेखक: उपदेश अवस्थी (विधि सलाहकार एवं पत्रकार)।
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