स्मार्ट सिटी से पहले स्मार्ट गाँव

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत के बड़े शहरों में शहर-केंद्रित पलायन के बढ़ते रुझान तथा सीमित ढांचागत सुविधाओं की मौजूदा स्थिति से टिकाऊपन के मद्देनजर स्मार्ट सिटीज के समेकित विकास के लिए बहुत चुनौतियां हैं| कम होते संसाधन, शहरी गरीबों की बढ़ती संख्या, बढ़ते शहरीकरण, शहरों में गर्मी के बढ़ते टापू, शहरों का बदलता भूगोल, शहरी भूमि के बदलते उपयोग से पर्यावरण पर पड़ते प्रभाव, समेकित आवासन, सार्वजनिक स्थानों के बदलते परिदृश्य, जलवायु परिवर्तन और जैव-विविधता पर मंडराते खतरे जैसे रूपों में ये चुनौतियां हमारे सामने उभर रही हैं| जल-निकासी और ठोस कचरा प्रबंधन भी बड़ी चुनौतियां हैं, जो जलापूर्ति बढ़ने और अधिक जल-उपयोग वाले शौचालयों के बढ़ते चलन के कारण विकराल रूप ले लेती हैं|

इनसे जल का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे प्रति व्यक्ति जल उपभोग बढ़ता है| नतीजतन, जल प्रदूषण के हालात बन जाते हैं| इस्तेमालशुदा पानी को लेकर असमानता, स्वास्थ्य परअंदेशा, स्लम इलाकों में साफ-सफाई व सम्मान का अभाव, स्लम इलाकों में महिलाओं और बच्चों के पोषण का स्तर यानी मुंबई के स्लम क्षेत्रों में कम वजन के बच्चों का जन्म, इस्तेमालशुदा जल के निस्तारण में हर दिन होने वाली दिक्कतों जैसे मुद्दों को भारतीय शहरों के समेकित और टिकाऊ विकास की राह में बड़ी अड़चन है| इन तमाम मुद्दों के समाधान के लिए भारत सरकार ने स्मार्ट शहरों को प्रोत्साहन देने की रणनीति अपनाई है, यह नीति स्मार्ट गांव विकसित करके सार्थक बनाई जा सकती है|

अच्छी योजना बनाकर शहरों और गांवों को स्मार्ट बनाया जाए तो इन्हें बेहतर सांस्कृतिक इलाकों के रूप में विकसित किया जा सकता है| कई देशों और बड़े शहरों की भांति छोटे शहरों और करीबी गांवों में संग्रहालय विकसित किए जा सकते हैं, जिनमें उनके भौगोलिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पहलुओं को दर्शाया जा सकता है| अच्छी योजना से सामाजिक प्रगाढ़ता, समानता एवं विविधता की दिशा में खासा बेहतर प्रयास किया जा सकता है| ये संग्रहालय ऐसे स्थान के तौर पर उभर सकते हैं, जहां विभिन्न संस्कृतियां, जीवनशैलियां एक साथ देखने को मिल सकती हैं| स्मार्ट सिटी कार्यक्रम में इन पहलुओं को प्राथमिकता दी जनि चाहिए|शहरी  कृषि और  हर्बल पौधरोपण से  खाद्य  सुरक्षा और स्वास्थ्य के मानदंड पूरे किए जा सकते हैं| टिकाऊ और सहज विकास शहरी इलाकों का कायाकल्प कर सकता है. इससे शहरी पर्यावरण में नित होता क्षरण भी थमेगा|
 श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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