
आपको बता दें कि 2011 में मेनन को मप्र में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें तब माखन सिंह को हटाकर दिल्ली बुलाए जाने पर यह जिम्मेदारी मिली थी। मेनन उसके पहले संगठन सह महामंत्री थे और उस समय उनके अलावा भगवतशरण माथुर भी संगठन सह महामंत्री थे। तब से लगातार करीब पांच साल से वे संगठन महामंत्री पद पर रहे। संगठन में प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान व सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उनका अच्छा तालमेल रहा।
याद दिला दें कि मेनन को बचाने के लिए शिवराज ने दिल्ली से नागपुर तक कई बार दौड़ लगाई थी। यह पहली दफा है जब भाजपा के किसी बड़े पद पर शिवराज की इच्छा के विरुद्ध कोई नियुक्ति हो गई। शिवराज इसके लिए कतई तैयार नहीं थे। अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। शिवराज सिंह के गिने चुने शुभचिंतकों में से एक कम हो गया।
याद दिला दें कि मेनन को बचाने के लिए शिवराज ने दिल्ली से नागपुर तक कई बार दौड़ लगाई थी। यह पहली दफा है जब भाजपा के किसी बड़े पद पर शिवराज की इच्छा के विरुद्ध कोई नियुक्ति हो गई। शिवराज इसके लिए कतई तैयार नहीं थे। अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। शिवराज सिंह के गिने चुने शुभचिंतकों में से एक कम हो गया।