इस साल भी एक एक स्टूडेंट्स को तरसेंगे इंजीनियरिंग कॉलेज

भोपाल। एडमिशन के लिए मनमाना डोनेशन वसूलने वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत पिछले 3 साल से पलती चल रही है। पूरे प्रदेश में एक भी सीट नहीं बढ़ी, उल्टी घटकर 88 हजार रह गईं। बावजूद इसके ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन जेईई मैन्स में प्रदेश के 80 हजार विद्यार्थी ही शामिल हो रहे हैं।

पिछले कई सालों से इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश के मामले में हालत खराब है। इसलिए प्रदेश शासन ने दो साल से नए इंजीनियरिंग कॉलेजों की संबद्धता पर रोक लगा दी है। पहले जहां प्रदेशभर के कॉलेजों में 1 लाख सीटें थीं, वहीं कुछ कॉलेजों के बंद होने व नए कॉलेजों को संबद्धता न मिलने से सीटों की संख्या घटकर 88 हजार रह गई है।

नेशनल लेवल पर 50 हजार विद्यार्थी कम
जेईई में नेशनल लेवल पर भी इस साल विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई है। पिछले जेईई मैन्स में देशभर के 13 लाख विद्यार्थी शामिल हुए थे, जबकि इस साल 12 लाख 50 हजार विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। यानि विद्यार्थियों की संख्या में सीधे-सीधे 50 हजार की कमी आ गई है। प्रदेश में पिछले साल 88 हजार विद्यार्थी शामिल हुए थे, जो इस साल घटकर 80 हजार रह गए हैं। यानि 8 हजार विद्यार्थी कम हुए हैं।

105 से ज्यादा नंबर आए तो एडवांस्ड क्वालिफाई
पिछले तीन-चार सालों से जेईई एडवांस्ड के लिए कटऑफ 105 से 115 तक जा रहा है। यानि ऐसे विद्यार्थी जो जेईई मैन्स के 360 अंक के पर्चे में 105 या इससे ज्यादा अंक लाते हैं, उनकी जेईई एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई करने की संभावना होगी। जेईई एडवांस्ड के लिए देशभर के 2 लाख विद्यार्थियों को चुना जाएगा। इनमें से लगभग 10 हजार को आईआईटी में प्रवेश मिल सकेगा। नए आईआईटी शुरू होने से यहां भी सीटों में इजाफा हो गया है।
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