
ऐसा करने वाले अपर सेशन जज अक्षय द्विवेदी मूल रूप से रीवा जिले के रहने वाले हैं। पन्ना जिले से 26 सितंबर, 2014 को उनकी तैनाती खंडवा में की गई थी। लोग उनकी सादगी के कायल हैं। अक्षय ने मप्र हाईकोर्ट में एप्लिकेशन देकर अपनी सैलरी आधे से कम करने की गुजारिश भी की थी। हाल ही में तबादले को लेकर उनसे पूछा गया कि आप कहां जाना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा, "कहीं पर भी भेज दो। सरकारी सुविधाएं न के बराबर ही लूंगा।" इस पर उनका तबादला श्योपुर किया। जब उनसे बात करने की कोशिश की तो वह भावुक हो गए। बोले, "मेरी तो दुनिया ही अलग है।"
अक्षय के जज बनने की कहानी भी बड़ी रोचक है। वह बताते हैं, "स्टूडेंट लाइफ में मां के साथ पैतृक संपत्ति के विवाद के लिए कोर्ट आता-जाता था। तारीख पर तारीख और चक्कर पर चक्कर लगाकर मां भी परेशान हो गई। यह मुझसे देखा नहीं गया। तभी से मैंने जिद कर ली कि मैं भी वकील बनूंगा। इसके बाद मैंने वकालत की पढ़ाई शुरू की। वकील बना तो देखा कि फैसलों में देरी से लोगों को कितनी मानसिक पीड़ा और आर्थिक नुकसान होता है। फिर मैंने ठान लिया कि अब तो जज ही बनूंगा।
प्रॉपर्टी के नाम पर सिर्फ मोबाइल
जज अक्षय के पास प्रॉपर्टी के नाम पर सिर्फ एक मोबाइल फोन है। इसे उनकी मां ने दिया था। उनके पास टेलीफोन कनेक्शन भी नहीं है। दिन में तीन बार अपनी मां से बात करते हैं। उन्होंने शादी भी नहीं की है।