
13 मार्च को संघ के एक संस्थापक जावेद खान ने लिखा था कि सारे संघों का आजाद अध्यापक संघ में विलय कर दो। अब 16 मार्च को संघ के प्रांताध्यक्ष भरत पटेल लिख रहे हैं कि अकेले संघर्ष करने का दम नहीं तो अलग अलग संगठन ही क्यों बनाए। बड़ा कंफ्यूजन है भाई, कहना क्या चाहते हैं, पहले आपस में ही तय कर लो।
पढ़िए दोनों महानुभावनों की फेसबुक पोस्ट
Javed Khan 13 मार्च 2016
संविलियन का रामबाण
सभी संघ का आजाद में विलय कर दो।
मर्दों की टोली का नेतृत्व हो।
भरत पटेल एकमेव नेतृत्वकर्ता हो।
अपनी बची कूची ज़िन्दगी का एक माह हमें दे दो।
कोई मोर्चा नहीं। आजाद तेवर हो।
संविलियन तुम्हारे कदमों में डाल देंगे।
नहीं तो गोली मार देना हमें।
वार्ता में ये कहने की बजाय की आंदोलन हम नहीं करते, केवल यह कह देना की आजाद की कसम
हक़ से खिलाएंगे फूल दामन ए गुलशन के
मिट्टी का हक़ भी अदा हो जाये फ़ना होने से पहले।
BHARAT PATEL 16 मार्च 2016
जब आपके संघ संगठन मेँ अकेले संघर्ष करने की दम नही तो अलग अलग संघ संगठन बनाये क्योँ ? संयुक्त मोर्चा किस बात का क्या अपको अपनी सरकार बनाने के लिए बहुमत सिद्द करना है क्या ? यदि अध्यापक, संविदा शिक्षको का हित चाहते हो तो बैठक बैठक क्यो भूख हड़ताल अनशन धरना शुरु कर दो या तो अपने अपने संघ संगठन भंग दो। प्रदेश के समस्त अध्यापक, संविदा शिक्षको के द्वारा ब्लाक अध्यक्ष ,जिला अध्यक्ष और प्रांताध्यक्ष के निर्वाचन करवा लो। जिस संघ या संगठन के सबसे अधिक पदाधिकारी जीते और जिस प्रांताध्यक्ष को सबसे अधिक मत प्राप्त हो ।। उसका हम सभी सहयोग करे ।। बरना ये मोर्चा मोर्चा की खिचड़ी दर्जनोँ प्रांताध्यक्ष हजारो जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्ष तो बना सकती है लेकिन हम सबको अध्यापक संवर्ग से शिक्षक संवर्ग नही बना सकती है ।। एकता तो आजाद अध्यापक संघ भी चाहता है लेकिन प्रदेश के समस्त अध्यापक ,संविदा शिक्षक , गुरुजी और अतिथि शिक्षक संवर्ग की सिर्फ कुछ संघ संगठन के पदाधिकारियोँ की नही ।। जोखिम जो उठायेगे वे लोग ही मंजिल पायेगे ।।जय आस।।
आपका अपना
भरत पटेल , प्रांताध्यक्ष
आजाद अध्यापक संघ म.प्र.
वैसे भरत पटेल ने एक बात पते की लिखी है। बात में दम है। होली जैसा पानी का बम नहीं है। खुला निर्वाचन करवा लो। जो जीता वही सिकंदर, बाकी सारे उसके बंदर।