
जिसके बाद से इस बात की अटकले लगना तेज हो गई है, कि शहस्त्रबुद्धे की मप्र प्रभारी की जिम्मेदारी से छुट्टी हो सकती है। पार्टी के जानकारों की मानें तो यह बदलाव राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद होगा। जो संभवत:20 जनवरी के आस-पास होना है। ऐसे में जो भी फैसला होगा, वह अब इसके बाद ही होगा। वैसे भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद संगठन में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही है। ऐसे में कुछ राज्यों के प्रभारियों की जिम्मेदारी भी बदली जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक व्यापमं घोटाले के खुलासे के बाद ही विनय शहस्त्रबुद्धे की शिवराज सिंह चौहान, अरविंद मेनन आदि से पटरी नहीं बैठ रही है। जो हाल ही में मंडल-निगमों की नियुक्तियों में खुल कर देखने को मिली। इसके अलावा भी सरकार और संगठन के छोटे-छोटे कामों में शहस्त्रबुद्धे के हस्तक्षेप से यह नाराजगी और भी गहरा गई थी। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को देखते हुए अब तक सभी इस मुद्दे पर चुप थे, लेकिन जिस तरीके से राष्ट्रीय नेतृत्व ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को इस मामले में फ्री हैंड दिया, उससे पूरे खेमे का उत्साह बढ़ा हुआ है। वह अब इसी झोंके में इस मुद्दे को भी कैसे भी करके निपटाने की तैयारी में है।
अनंत कुमार जैसे चेहरे की तलाश
जानकारों की मानें तो प्रदेश बीजेपी की पसंद इस मामले में अभी अनंत कुमार ही है।क्योंकि अनंत कुमार छह साल से ज्यादा समय तक मप्र के प्रभारी रहे और कभी चूं तक नहीं हुआ। लेकिन अनंत कुमार मौजूदा समय में केंद्रीय मंत्री है। ऐसे में प्रदेश ईकाई की पसंद ठीक उनके जैसे ही प्रभारी पर टिकी है, जो प्रदेश में सरकार और संगठन का सपोर्ट करें। बजाय अडगेबाजी करने के।