
सोमवार को प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी आशुतोष गुमाश्ता सहित 18 की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह, राजेन्द्र तिवारी, अतुल चौधरी, ऋत्विक पाराशर और अर्पण जे पवार ने रखा।
नैसर्गिक न्याय-सिद्धांत का उल्लंघन:
उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता व्यापमं द्वारा आयोजित कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति व नापतौल निरीक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे। सफलता हाथ लगने पर चयनित हो गए और नौकरी करने लगे। जब व्यापमं घोटाला सामने आया तो इन्हें आरोपी बनाकर नोटिस थमा दिया गया। इसके जरिए पूछा गया क्यों न नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाए? इस नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ले ली गई। हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई के बाद अपने अंतरिम आदेश में साफ किया कि आरोपियों को नैसर्गिक न्याय-सिद्धांत के तहत दस्तावेज मुहैया कराए जाएं और सुनवाई का अवसर भी दिया जाए। इसके बाद ही कोई कठोर कार्रवाई की जाए। इधर व्यापमं ने मनमानी करते हुए बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया।
बाद में गोले काले किए इसलिए किया बर्खास्त-
व्यापमं की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ताओं को न तो दस्तावेज मुहैया कराए जाने की आवश्यकता है और न ही सुनवाई का अवसर देने की। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रारंभिक जांच में साफ हो चुका है कि गोले बाद में काले किए गए। सेकेंड स्केनिंग में यह निष्कर्ष आना इस बात की गवाही देता है कि चयनित उम्मीदवार गलत तरीके से नौकरी पर आए हैं। लिहाजा, उन्हें सेवा में बने रहने का हक नहीं है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया। साथ ही निर्देश दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती दस्तावेज मुहैया कराएं और सुनवाई का मौका भी दें।