
अभियोजन अनुसार घटना वर्ष 2007 से 2009 के बीच अरेरा हिल्स स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में हुई थी। बैंक के मैनेजर कमलेश कुमार चौरसिया और असिस्टेंट मैनेजर बसंत पावसे ने राजधानी कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स के संचालकों से मिलकर फर्जी प्री-सेंक्शन लोन स्वीकृत किया था। मामले में आरोपी बिल्डर ब्रिजेश सिंह यादव और राजेन्द्र प्रसाद तिवारी के खाते में 8 लाख 4 हजार 600 रुपए ट्रांसफर कर दिए गए। आरोपियों ने षडयंत्र करते हुए बैंक के पूर्व ऋणी सुरेश गुर्जर के नाम पर प्री-लोन सेंक्शन आवेदन दाखिल कर दिया। लोन सेंक्शन के लिए फर्जी पहचान-पत्र व जरूरी दस्तावेज पेश कर दिए। इस संबंध में आरोपी बैंक मैनेजरों ने बगैर जांचे लोन मंजूर कर दिया। इस मामले में सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी, जालसाजी के अपराध दर्ज कर चालान अदालत में पेश किया था। अदालत में सुनवाई के दौरान आरोपियों के खिलाफ अपराध प्रमाणित होने पर उक्त सजा का फैसला सुुनाया गया।