
02 सितम्बर 2015 को दोनों किस्तों को एक साथ देनें और छटवें वेतनमान के निर्धारण करने की मांग को लेकर पुरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन दिया गया ।एवं02,03,04 जून को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर तीन दिवसीय धरना अध्यापकों द्वारा दिया गया। प्रदेश में लाखों अध्यापकों ने इस शुरुवाती आंदोलन में भाग लिया।
ब्रजेश शर्मा जी ने 06 दिसंबर 2015 से शिक्षा बचाओ ,प्रदेश बचाओ आंदोलन की घोषणा कर दी।यात्रा की पूरी तैयारी हो चुकी थी।
इसी बीच आजाद अध्यापक संघ नें भी यात्रा के साथ ही भोपाल में आंदोलन की घोषणा कर दी। साथियों म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन कभी भी श्रेय की राजनीती नहीं करता है। अध्यापक एकता विखण्डित न हो अध्यापक हित को ध्यान में रखते हुए ब्रजेश शर्मा जी ने अपने आंदोलन को स्थगित करते हुए भरत जी पटेल को आंदोलन हेतु आगे आने दिया। आजाद के बेनर तले भरत पटेल ने शाहजनि पार्क में आंदोलन 2015 शुरू किया।
ब्रजेश शर्मा ,आरिफ अंजुम एवम् संविदा सह अध्यापक संघ के साथियो के साथ बिना शर्त आजाद अध्यापक संघ के इस आंदोलन में शामिल हो गए।
याद रहे इस आंदोलन में राज्य अध्यापक संघ के साथी भी पुरे प्रदेश में शामिल हुए।अध्यापक कांग्रेस पहले से ही आजाद के साथ थी। फिर जेल की यात्रा हो,या 25 की तिरंगा रैली सभी ने बड़ चढ़कर हिस्सा लिया। अध्यापक हित में कार्यरत तमाम संगठन इस आंदोलन का हिस्सा बने ।
साथियों यह आंदोलन अब किसी बैनर का न होकर पूरे प्रदेश के अध्यापकों का आंदोलन बन गया।
हम सब साथ साथ आगे बढ़ते जा रहे थे ।यहीं संयुक्त मोर्चा 2015 का भी उदय हुआ। जो आज भी अपना अस्तित्व रखे हुए है।साथियों दीपावली के पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ चर्चा के बाद 09 तारीख को अचानक कोई छोटे से मन मुटाव के बीच एक नया मोड़ आया और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे भरत पटेल ने अपने को संयुक्त मोर्चे से अलग होने का एलान कर दिया।
धीरे धीरे शंकाओं के बदल छटे और आज सभी पुनः एक साथ इस अध्यापक आंदोलन के हर चरण में सहयोगी है। 03 दिसंबर को सभी संगठनों ने साथ में मिलकर मुख्यमंत्री जी से चर्चा की एवं सभी की सहमति से महापंचायत की डेट आगे बढ़ी। साथियों जो भी निर्णय हुआ उसमें सभी शामिल हैं । यह कहना कठिन है कि यह आंदोलन किसका है हाँ यह जरूर कहा जा सकता है की यह आंदोलन पुरे प्रदेश के अध्यापकों का है।
रामायण में लंका विजय में राम ,हनुमान,अंगद,नल,नील के साथ उस गिलहरी के योगदान को भी याद किया जाता है।साथियों हम भी सबकी बात करें अध्यापक की बात करें और आगे की बात करें।
प्रदेश का हर अध्यापक पुरे मन से पूरी निष्ठा से आंदोलन में सहभागी है हमारी एकता के सामनें सफलता की कोई ओकात नहीं है की वह हमसे दूर भागे।
निश्चित वह हमारे क़दमों में होगी।
हम जय आस,जय सास, जय रास जैसे शब्दों का प्रयोग न करते हुए जय अध्यापक कहें तो ज्यादा अच्छा होगा।
आपका भाई
अशोक कुमार देवराले