भोपाल। राजधानी में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने जारे का काला कारोबार उजागर हुआ है। कई लोगों ने इन फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरियां भी हासिल कर लीं। फर्जीवाड़े में सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं क्योंकि फर्जी प्रमाण पत्रों में रजिस्ट्रेशन नंबर वही यूज किया गया है जो असली में था। बस नाम बदल दिया गया। हस्ताक्षर भी एसडीएम के हैं, असली या फर्जी यह जांच का विषय है।
जिला प्रशासन की जांच में यह मामला उजागर हुआ है। बताया जाता है कि नगर निगम, पीएचई, देना बैंक और ओरियंटल बैंक को अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र पर संदेह था। इसकी पुष्टि के लिए पीएचई के मुख्य अभियंता कार्यालय समेत अन्य संस्थानों ने कलेक्टर को लिखा था। इसके साथ कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र भी भेजे गए थे। इस पर कलेक्टर निशांत वरवड़े ने एसडीएम शहर रवि कुमार सिंह को जांच करने के निर्देश दिए थे।
नंबर और हस्ताक्षर निकले फर्जी
सभी जाति प्रमाण पत्र तत्कालीन एसडीएम शहर के हस्ताक्षर से जारी किए गए थे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के ये प्रमाण पत्र वर्ष 2007 से 2011 के दौरान बनाए गए थे। एसडीएम ने इन सभी प्रमाण पत्रों की वैधता जांचने के लिए रजिस्टर से मिलान कराया। इसमें सामने आया कि प्रमाण पत्र में जो रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा है, वह रजिस्टर में किसी और के नाम पर दर्ज है। ऐसे में प्रमाण पत्र पर तत्कालीन एसडीएम के हस्ताक्षर भी फर्जी होने की आशंका जताई जा रही है। जांच में यह भी पाया गया कि फर्जीवाड़ा करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं।